पुष्प नक्षत्र क्या है? इसके क्या प्रभाव है? इस दिन कौन से कार्य करें और कौन से नए करें? Pushp nakshatra

पुष्य नक्षत्र : पुष्य का अर्थ है पोषण करने वाला, ऊर्जा व शक्ति प्रदान करने वाला. मतान्तर से पुष्य को पुष्प का बिगडा़ रूप मानते हैं। पुष्य का प्राचीन नाम तिष्य शुभ, सुंदर तथा सुख संपदा देने वालाहै। विद्वान इस नक्षत्र को बहुत शुभ और कल्याणकारी मानते हैं। विद्वान इस नक्षत्र का प्रतीक चिह्न गाय का थन मानते हैं। उनके विचार से गाय का दूध पृ्थ्वी लोक का अमृ्त है। पुष्य नक्षत्र गाय के थन से निकले ताजे दूध सरीखा पोषणकारी, लाभप्रद व देह और मन को प्रसन्नता देने वाला होता है।

पुष्य को ऋग्वेद में तिष्य अर्थात शुभ या माँगलिक तारा भी कहते हैं। सूर्य जुलाई के तृ्तीय सप्ताह में पुष्य नक्षत्र में गोचर करता है। उस समय यह नक्षत्र पूर्व में उदय होता है। मार्च महीने में रात्रि 9 बजे से 11 बजे तक पुष्य नक्षत्र अपने शिरोबिन्दु पर होता है। पौष मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है। इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि है।

साल 2022 में 17 दिन पुष्य नक्षत्र का संयोग होना समृद्धि का संकेत है। इनमें 4 ऐसे संयोग रहेंगे जिनमें दो दिन ये नक्षत्र रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, पुष्य नक्षत्र शुभ कामों और खरीदारी के लिए श्रेष्ठ होता है लेकिन तंत्र क्षेत्र मे इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है इस दिन बहुत सी अनौखी साधनाऐं की जाती है ये दिन तांत्रिको को लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके संयोग वाला दिन समृद्धि और सिद्धी का होता है। ज्योतिष में इस नक्षत्र (Pushya Nakshatra 2022) को अमरता और समृद्धि देने वाला माना गया है। 2022 में दो दिन रवि और दो दिन गुरु पुष्य नक्षत्र रहेगा।

पुष्य नक्षत्र

पुष्य नक्षत्र के जातको के लक्षण

पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि ग्रह होता है। ज्योतिषशास्त्र में पुष्य नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना गया है। वार एवं पुष्य नक्षत्र के संयोग से रवि-पुष्य जैसे शुभ योग का निर्माण होता है। इस नक्षत्र में जिसका जन्म होता है वे दूसरों की भलाई के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, इन्हें दूसरों की सेवा एवं मदद करना अच्छा लगता है।। इन नक्षत्र के जातक को बाल्यावस्था में काफी मुश्किलों एवं कठिनाईयों से गुजरना पड़ता है। कम उम्र में ही विभिन्न परेशानियों एवं कठिनाईयों से गुजरने के कारण युवावस्था में कदम रखते रखते परिपक्व हो जाते हैं। इस नक्षत्र के जातक मेहनत और परिश्रम से कभी पीछे नहीं हटते और अपने काम में लगन पूर्वक जुटे रहते हैं। ये अध्यात्म में काफी गहरी रूचि रखते हैं और ईश्वर भक्त होते हैं। इनके स्वभाव की एक बड़ी विशेषता है कि ये चंचल मन के होते हैं। ये अपने से विपरीत लिंग वाले व्यक्ति के प्रति काफी लगाव व प्रेम रखते हैं। ये यात्रा और भ्रमण के शौकीन होते हैं। ये अपनी मेहनत से जीवन में धीरे-धीरे तरक्की करते जाते हैं। पुष्य नक्षत्र में पैदा लेने वाले व्यक्ति अपनी मेहनत और लगन से जीवन में आगे बढ़ते हैं। ये मिलनसार स्वभाव के व्यक्ति होते हैं। ये गैर जरूरी चीज़ों में धन खर्च नहीं करते हैं, धन खर्च करने से पहले काफी सोच विचार करने के बाद ही कोई निर्णय लेते हैं। ये व्यवस्थित और संयमित जीवन के अनुयायी होते हैं। अगर इनसे किसी को मदद चाहिए होता है तो जैसा व्यक्ति होता है उसके अनुसार उसके लिए तैयार रहते हैं और व्यक्तिगत लाभ की परवाह नहीं करते। ये अपने जीवन में सत्य और न्याय को महत्वपूर्ण स्थान देते हैं। ये किसी भी दशा में सत्य से हटना नही चाहते, अगर किसी कारणवश इन्हें सत्य से हटना पड़ता है तो, ये उदास और खिन्न रहते हैं। ये आलस्य को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते, व एक स्थान पर टिक कर रहना पसंद नहीं करते।

 

Guru Pushya Nakshatra Me Kya Kare गुरु पुष्य नक्षत्र में क्या करना चाहिए

  •  गुरू स्वर्ण, धन एवं मांगलिक कार्यों के कारक हैं ।
  •  इसलिए गुरू पुष्य योग में सोना, वाहन अथवा स्थायी संपत्ति खरीदना शुभ माना जाता है । मान्यता है कि इस दिन जो भी धन अर्जित करते हैं वह स्थायी रहता है।
  • गुरु पुष्य नक्षत्र में वाहन, भवन, भूमि और बहीखाते खरीदना भी शुभ होता है।
  • इस दिन मंदिर निर्माण, घर निर्माण आदि काम भी प्रारंभ करना शुभ हैं।
  • गुरु पुष्य नक्षत्र के दिन पूजा या उपवास करने से जीवन के हर एक क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है। सर्वप्रथम अपने घरों में सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय मां लक्ष्मी के सामने घी से दीपक जलाएं । किसी नए मंत्र की जाप की शुरुआत करें।
  • गुरू पुष्य योग के साथ ही अमृत सिद्घि योग भी बना हुआ है। ये दोनों ही योग बहुत ही शुभ माने जाते हैं। इन योगों में कोई भी वस्तु खरीदने अथवा नया काम शुरू करने पर 100 प्रकार के दोषों का प्रभाव नष्ट होता है।
  • इस दिन दाल, खिचड़ी, चावल, बेसन, कड़ी, बूंदी की लड्डू आदि का सेवन भी किय जाता है और यथाशक्ति दान भी कर सकते हैं।
  • गुरु पुष्य नक्षत्र में शिल्प, चित्रकला और पुस्तक खरीदना उत्तम माना जाता है।
  • इस दिन से नए कार्यों की शुरुआत करें, जैसे ज्ञान या विद्या आरम्भ करना, कुछ नया सीखना, दुकान खोलना, लेखक हैं तो कुछ नया लिखना आदि।
  • पुष्य नक्षत्र में दिव्य औषधियों को लाकर उनकी सिद्धि की जाती है।
  • इस दिन कुंडली में विद्यमान दूषित सूर्य के दुष्प्रभाव को घटाया जा सकता है।

और भी कई सारे कार्य इस नक्षत्र मे किया जाते है। कोइ भी शुभ कार्य करने के लिये ये बहुत ही शुभ दिन होता है। इस दिन बहुत सारे तांत्रिक क्रिया कर्म भी किये जाते है।
 

पुष्य नक्षत्र में की गई खरीदारी होती है शुभ होती है।

  • - पुष्य नक्षत्र में की गई खरीदारी और बिक्री मंगलकारी‎ होती है। ये ही वजह है कि कई लोग इस दिन खरीदारी करते हैं।‎ 
  • -इस साल के पहले पुष्य नक्षत्र योग की शुरुआत 18 जनवरी यानी आज से हो रही है। मंगलवार होने से ये भौम पुष्य माना जाएगा।‎ 
  • - 27 नक्षत्रों में पुष्य को सर्वाधिक शुभ‎ माना जाता है। इस नक्षत्र को तिष्य और‎ अमरेज्य भी कहते हैं। इन सत्ताइस में आठवां‎ नक्षत्र पुष्य होता है। 
  • - इस नक्षत्र का महत्व रविवार और गुरुवार के दिन होता है।‎ पुष्य नक्षत्र शनि, गुरु और चंद्र का प्रभाव रहने‎ से यह खरीदारी और नए कार्य की शुरुआत‎ के लिए काफी मंगलकारी माना गया है। 

Guru Pushya Nakshatra Me Kya Nahi Karna chahiye गुरु पुष्य नक्षत्र में क्या नहीं करे।

  • - मुहूर्त चिंतामणि नक्षत्र प्रकरण ग्रंथ के श्लोक 10 के अनुसार, पुष्य, पुनर्वसु और रोहिणी इन तीन नक्षत्रों में सधवा स्त्री नए स्वर्ण आभूषण और नए वस्त्र धारण नहीं करें, ऐसा लिखा है। मतलब यह कि इस दिन संभवत: स्वर्ण तो खरीदा जा सकता है लेकिन पहना नहीं जा सकता?
  • - विदवानों का मानना है कि इस दिन विवाह नहीं करना चाहिए क्योंकि पुष्य नक्षत्र को ब्रह्माजी का श्राप मिला हुआ है, इसलिए यह नक्षत्र विवाह हेतु वर्जित माना गया है।
  • - बुधवार और शुक्रवार के दिन पड़ने वाले पुष्य नक्षत्र उत्पातकारी भी माने गए हैं। अत: इस दिन कोई भी शुभ या मंगल कार्य ना करें और ना ही कोई वस्तु या वाहन खरीदें।
  • - इस नक्षत्र का स्वामी शनि ग्रह है अत: इस नक्षत्र के दौरान शनि के मंदे कार्य नहीं करना चाहिए । जैसे, शराब पीना, ब्याज पर रुपया देना, झूठ बोलना, स्त्री का अपमान करना आदि।
  • - पुष्य नक्षत्र को बहुत ही पवित्र और शुभ माना गया है इसलिए इस नक्षत्र में किसी भी प्रकार के तामसिक या अपवित्र कार्य न करें।
 
  • - पुष्य को नक्षत्रों का राजा कहा जाता है। पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि देव होते हैं लेकिन देव गुरु बृहस्पति को इस नक्षत्र के अधिष्ठाता देव माने जाते हैं।
  • - शनि के कारण इस नक्षत्र में किए गए काम लंबे समय तक फायदा देने वाले होते हैं और बृहस्पति के प्रभाव से ये शुभदायी और समृद्धि देने वाला होता है। 
सत्ताइस नक्षत्रों में आठवां नक्षत्र है पुष्य। सभी नक्षत्रों में इस नक्षत्र को सबसे अच्छा माना जाता है। सभी नए सामान की खरीदारी, सोना, चांदी की खरीदारी के लिए पुष्य नक्षत्र को सबसे पवित्र माना जाता है। ऐसा क्यों हैं? चंद्रमा धन का देवता है, चंद्र कर्क राशि में स्वराशिगत माना जाता हैं। बारह राशियों में एकमात्र कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है और पुष्य नक्षत्र के सभी चरणों के दौरान ही चंद्रमा कर्क राशि में स्थित होता है। इसके अलावा चंद्रमा अन्य किसी राशि का स्वामी नहीं है। इसलिए पुष्य नक्षत्र को धन के लिए अत्यन्त पवित्र माना जाता है। 
 

तंत्र मंत्र जादू टोने के लिए विशेष दिन

तंत्र मंत्र टोने टोटके जादू आदि कर्मों के यूं तो अनेक नियम हें और अनेक मर्यादायें हें, इन्‍हीं में से एक मर्यादा यह है कि पुष्‍य नक्षत्र में जन्‍मे लोगों पर तंत्र मंत्र जादू टोने टोटके का प्रयोग नहीं करना चाहिये, इन लोगों पर किये गये ऐसे प्रयोग स्‍वत: निष्‍फल होकर उल्‍टे करने वाले पर ही विपरीत असर डाल देते हैं। अत: किसी ऐसे प्रयोग के करने से पहले उस व्यक्ति के जन्‍म, नक्षत्र संबंधी, जन्‍म तिथि आदि संबंधी विचार परम आवश्‍यक होते हैं नहीं तो बाद में बडे बारी प्रणाम भी भुगतने पड सकते हैं। अमावस्‍या या पूर्णिमा को जन्‍म लेने वालों पर या प्रबल ग्रह स्‍थिति वाले लोगों पर, राजा आदि पर तंत्र मंत्र जादू टोना टोटका आदि प्रयोग नहीं करना चाहिये, फिर भी किया जाये तो निष्‍फल हो जाता है और प्रयोग कर्ता पर ही विपरीत प्रभाव डाल कर उसे हानि पहुँचा देता है। इसलिए इस संबंध मे हमेशा ध्यान रखना चाहिए नहीं तो बाद मे आपको दिक्कत हो सकती हैं।

हमेशा प्रयोग कर्ता को अपने व प्रयोग के लिये उपयोग किये जा रहे व्‍यक्‍ति के जन्म, गौत्र और कम से कम उसके ग्रहों की स्‍थिति का गहरा ज्ञान अवश्‍य कर लेना चाहिए तभी आपका प्रयोग सफल हो पायेगा। देखिए सदैव ग्रहों का टकराव ग्रहों से होता है और जिसके ग्रह, नक्षत्र, योग, तिथि आदि बलवान होते हें, सदैव वही विवजयी होता है। यह तथ्‍य भी स्‍मरण रखना चाहिये कि पैदल पर पैदल का वार और सवार पर सवार का वार, राजा पर राजा का वार ही सर्वोचित एवं सर्वोत्‍तम नीति है। पुष्‍य नक्षत्र के मध्‍य में यानि द्वितीय एवं तृतीय चरण में जनमे लोग बेहद प्रबल होते हैं, इनसे सदैव तंत्र आदि प्रयोंगों से दूर ही रहना चाहिये। देखिए कहा जाता है कि - 
 
पुष्‍य नक्षत्र में मलखे जनमो, बारहीं परी है बिसपित जाय।
 अष्‍ट सनीचर आय कें बैठो देखत किला भसम होय जाय।। 
 
आचार्य चाणक्‍य का सूत्र है कि ग्रह ही राज्‍य देते हें, ग्रह ही राज्‍य का हरण कर लेते हें। अत: जन्‍मकुण्‍डली के ग्रहों, चालू गोचर के ग्रहों आदि का इन प्रयोंगों में विचार करना अत्‍यंत आवश्‍यक रहता है। 
 

कौनसा तंत्र प्रयोंग कभी नहींं करना चाहिए ?

पति अपनी पत्‍नी पर और पत्‍नी अपने पति पर तंत्र प्रयोग न करे, इस प्रकार के प्रयोग मर्यादा विरूद्ध हैं। पिता पुत्र पर और पुत्र अपने पिता पर, सगे भाई एक दूसरे पर, बहिन भाई एक दूसरे पर कभी भूल कर भी ऐसे प्रयोग न करें क्‍योंकि ये मर्यादा विरूद्ध होने के साथ रक्‍तांश के कारण करने वाले पर स्‍वयं पर भी वार करते हैं, वहीं पति पत्‍नी आपस में अर्धांग होने से खुद ही खुद पर वार कर बैठते हें जिससे उन दोनों को खुद ही खुद द्वारा हानि पहुँचा दी जाती है। भोजन करते व्‍यक्‍ति, सो रहे निद्रा मग्‍न व्‍यक्‍ति, संभोग अथवा मैथुनरत व्‍यक्ति, बीमार, वृद्ध और बच्‍चों पर भी ऐसे प्रयोग मर्यादा विरूद्ध होते हैं।
 

2022 में पुष्य नक्षत्र की किन किन तारीखें को होगा।

18 जनवरी- मंगल पुष्य
14-15 फरवरी- सोम और मंगल पुष्य
14 मार्च- सोम पुष्य
10 अप्रैल- रवि पुष्य
7-8 मई- शनि और रवि पुष्य
4 जून- शनि पुष्य
1 जुलाई- शुक्र पुष्य
28 जुलाई- गुरु पुष्य
24-25 अगस्त- बुध और गुरु पुष्य
21 सितंबर-    बुध पुष्य
18 अक्टूबर-    मंगल पुष्य
14-15 नवंबर- सोम और मंगल पुष्य
12 दिसंबर-    सोम पुष्य

Guru Pushya Nakshatra Ke Totke in Hindi गुरु पुष्य नक्षत्र के टोटके 2021

  • पुष्य नक्षत्र का शाब्दिक अर्थ है पोषण करना या पोषण करने वाला । इसे तिष्य नक्षत्र के नाम से भी जानते हैं । तिष्य शब्द का अर्थ है शुभ होना।
  • इस दिन कुंडली में विद्यमान दूषित सूर्य के दुष्प्रभाव को घटाया जा सकता है। इसके लिए सूर्य को अर्ध्य दें और सूर्य से संबंधित वस्तुओं का दान करें।
  • कुछ ज्योतिष पुष्य शब्द को पुष्प शब्द से निकला हुआ मानते हैं । पुष्प शब्द अपने आप में सौंदर्य, शुभता तथा प्रसन्नता से जुड़ा है।
  • इस दिन धन का निवेश लंबी अवधि के लिए करने पर भविष्य में उसका अच्छा फल प्राप्त होता है ।
  • इस दिन रोटी पर घी चुपड़कर उसके साथ गुड़ मिलाकर गाय को खिलाने से धन लाभ प्राप्त होता है।

Benefits of Guru Pushya Nakshatra गुरु पुष्य नक्षत्र का लाभ

  • वैदिक ज्योतिष के अनुसार गाय के थन को पुष्य नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह माना जाता है । ऋगवेद में पुष्य नक्षत्र को मंगलकर्ता भी कहा गया है । इसके अलावा यह समृद्धिदायक, शुभ फल प्रदान करने वाला नक्षत्र माना गया है।
  • इस शुभदायी दिन पर महालक्ष्मी की साधना करने, पीपल या शमी के पेड़ की पूजा करने से उसका विशेष व मनोवांछित फल प्राप्त होता है । इस दिन पीपल, शमी और आंकड़े के पेड़ या दूध वाले पेड़ की पूजा कर सकते हैं। इससे हर एक क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है।
  • लक्ष्मी माता के समक्ष घी का दीपक जलाकर उन्हें कमल पुष्प अर्तित करके इस दिन श्रीसूक्त का पाठ करने से माता लक्ष्मी बहुत ही जल्द प्रसन्न होती है। इस शुभदायी दिन पर माता लक्ष्मी की पूजा और साधना करने से उसका विशेष फल प्राप्त होता है । सर्वप्रथम अपने घर में सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय मां लक्ष्मी के सामने घी से दीपक जलाएं । किसी नए मंत्र की जाप की शुरुआत करें। फिर पूजा आदि करने के बाद श्रीसूक्त का पाठ करें और बाद में फिर पूजा करें।
 

Yantra Siddhi यंत्र शक्ति पुस्तक pdf बिल्कुल फ्री

Guru gorkhnatha गुरु गोरखनाथ के दुर्बल शाबर मंत्र PDF पुस्तक

dhyana and kundalini jagran ध्यान और कुंडलिनी की महाशक्ति

मातंगी साधना जीवन के सबसे श्रेष्ठ साधना। matangi sadhana and puja vidhi.

मुण्डमाला तन्त्रम | Mundamala Tantram Pdf

राम चरित्रमानस के पाठ करने से प्राप्त होने वाले लाभ ।(Shree Ram Priwar)SRP

shiv puran se sambandhit sari jankari. - Shreerampriwar SRP

Shiv Ling Puran श्री लिंग पुराण / लिंग महापुराण pdf book

Tratak Sadhana त्राटक साधना के अद्भुत शक्ति। त्राटक साधना pdf

Apsara sadhana अप्सरा साधना की पूरी जानकारी के साथ PDF पुस्तक बिल्कुल फ्री. Shree Ram Pariwar

Related topic

सूचना: अगर इस पेज पर दी हुई सामग्री से सम्बंधित कोई भी सुझाव, शिकायत या डाउनलोड नही हो रहे हो तो निचे दिए गए "Contact Us” के  माध्यम से सूचित करें। हम आपके सुझाव या शिकायत पर जल्द से जल्द अमल करेंग:

👁 ध्यान देंः
तो मित्रौ हमें उम्मीद है, कि आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई होगी। और यदि पोस्ट पसंद आई है, तो इसे अपने दोस्तों में शेयर करें ताकि आपके दोस्तों को भी इस पोस्ट के बारे में पता चल सके। और नीचे कमेंट करें, कि आपको हमारी यह पोस्ट कैसी लगी। यदि आपका कोई प्रश्न है, तो नीचे 👇 Comment बॉक्स में हमें बताएं।

यह भी पढ़ेंः धरती में गड़ा धन पाने का सबसे सरल और 100% कारगर उपाय।। "
शाबर मंत्र सागर भाग-२ पुस्तक PDF Download;"
कृपया हमारे चैनल को सब्सक्राइब करके 👉

आप हमसे हमारे फेसबुक ग्रुप और टेलीग्राम ग्रुप में जुड़ सकते हैं। और हमारे ब्लॉग से जुड़ कर भी हमें सहयोग प्रदान कर सकते हो।

फेसबुक ग्रुप - https://www.facebook.com/groups/715119132723959

टेलीग्राम ग्रप - https://t.me/shreerampriwar

हमरा चैनल - https://www.youtube.com/c/ShreeRamPriwar

अगर आपको हमारा कार्य अच्छा लग रहा है तो हमें सहयोग प्रदान करें और जो भी वीडियो देखे उसे कृपा करके पूरा देखें।
अगर अभी तक आपने हमारे चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया तो कृपया करके सब्सक्राइब करें।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
🌹🏵️ ।।जय मां भवानी।।



#शाबर_मंत्र_सागर #मंत्र_पुस्तक #मंत्र #साधना_पुस्तके #साधना_विधि #मंत्र_साधना
#जय_श्री_राम

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ