Mundamala Tantram Pdf 'एक प्रमाणिक तंत्र ग्रन्थ हैं।'मुण्डमालातस्त्र' में प्रथम बाद में रसिक मोह को प्रकाशित किया । इसमें प्रथम पटल से घष्ठ पटल में वचनों को अनेक स्थानों पर प्रमाण-रूप में ग्रहण किया गया हैं दशम पटल 'मुण्डमालातन्त्र के किसी वंचनों को प्रमाण-रूप में ग्रहण नहीं किया गया है । ऐसा प्रतीत होता है कि ये दोनों “मुण्डमालातन्तर' प्रकृत अन्य हैं । भगवान् शंकर के पाँच मुण्डों से यह तंत्र प्रकाशित हुआ था । एक मुण्ड के द्वारा जो-जो विषय कहें गयें हैं । दुसरे मुण्ड के द्वारा वह नहीं कहा गया । इस प्रकार पाँच मुण्डो के द्वार पृथक्-पृथक् विषय प्रकाशित किये गये हैं । ऐसा प्रतीत होता है कि पहला ग्रन्थ एक मुण्ड के द्वारा कथित हुआ हैं । घष्ठ पटलान्तें 'मुण्डमालातंत्र' के पहले पटल में दश महाविद्यां का नाम एवं विद्या की प्रशंसा का वर्णन किया गया हैं । द्वितीय पटल में अक्षमाला के प्रकार भेद , अक्षमाला का निर्माण एवं संस्कार-पद्धति वर्णित हुई ई हैं । तृतीय पटल में जप एवं पूजा स्थल, प्रशस्त आसन एवं निन्दित आसन तथा चतुर्थ पटल में बलि के भेद, बलिदान की विधि एवं फ...
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