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जनवरी, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ज्योतिष तत्व पुस्तक || Jyotish Tattva book pdf download

प्राचीनकाल से ही मनुष्य को अपने शुभाशुभ भविष्य को जानने की जिज्ञासा रही है। उसकी इसी प्रवृत्ति ने ज्योतिष विद्या को जन्म दिया । वास्तव में ज्योतिष शास्त्र एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जो ईश्वरीय एवं शुद्ध प्राकृतिक नियमों पर आधारित है। प्राचीन मनीषियों ने अपनी दिव्य ज्ञान चक्षुओं, सतत साधना द्वारा ग्रह-नक्षत्रों की प्रकृति एवं प्रभाव का गहन अनुशीलन किया। जिसके फलस्वरूप हमें गणित एवं फलित ज्योतिष के सिद्धान्त प्राप्त हुए। ज्योतिष शास्त्र भूत, भविष्य और वर्तमान की साकार कहानी है। ज्योतिष एक प्राचीन विद्या है। यह हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है - हमारा अतीत, वर्तमान और भविष्य।काफी हद तक, ज्योतिष का उपयोग भविष्य की घटनाओं की भविष्यवाणी और भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है और इसे ग्रहों की स्थिति से संबंधित किसी भी प्रकार की दुर्घटना से छुटकारा पाने के लिए एक माध्यम के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।यह अवधारणा कि सौर मंडल में ग्रह पिंड वास्तव में भविष्य की दृष्टि प्रदान कर सकते हैं, लोगों को बहुत लंबे समय से आकर्षित कर रहे हैं।ज्योतिष के साथ हमारी रुचि एक समाचार पत्र के राशि चिन्ह ...

कंकालमालिनी तंत्र पुस्तक || Kankaal Maalini Tantra pdf download

  नमस्कार मित्रो आज की पोस्ट में हम इस पोस्ट में आप सभी को कंकालमालिनी तंत्र पुस्तक उपलब्ध करा रहें हैं। देखिए कंकाल शब्द से अस्थिपंजर का तात्पर्य ध्वनित होता है, तथापि यहाँ उसका अर्थ है मुण्ड-गरमुण्ड ! जिनको ग्रीवा नरमुण्ड माला से सुशोभित हैं, ये हैं की जो मुण्डमाला है, यही है वर्णमाला, अर्थात् जिन्होंने वर्ण की माला को अपनी ग्रीवा में धारण किया है, वे हैं कंकालमालिनी । इस तंत्र के प्रथम पटक में वर्णमाल की व्याख्या अंकित है। इस तंत्र के अनुसार अ से अः पर्यन्त स्वर वर्ण सत्वमय है क से व पर्यन्त वर्णसमूह को रजोमय तथा दक्ष पर्यन्त के वर्णसमूह को तमोगय कहा गया है। द्वितीय पद में मन्त्रार्थयत आदि का अंकन है। तृतीय पटल गुरु अर्चना से सम्बद्ध है। इसमें अमित फलप्रदायक रुगु-कवच गुरु तथा गोता का भी समावेस है । गुरुतत्व की महनीयता से यह पटल ओतप्रोत है । चतुर्थ पटल में महाकाली मंत्र एवं उसके माहात्म्य का अंकन है। इसमें क्षर मंत्र भी उपदिष्ट है। साथ हो महाकाली की सम्यक पूजाविधि का भो निर्देश दिया गया है। पंचम पटल महाकाली के अनन्य कों के लिये हितकारी है। इसमें पुरश्चरण विधान प्रातः कृत्य, स्नान...

गौरी काञ्चलिकातन्त्र पुस्तक || Gaurikanchalika Tantra pdf

नमस्कार मित्रो आपका हमारे ब्लॉग श्री राम परिवार में हार्दिक स्वागत है। मित्रों तन्त्र शब्द अनेक अर्थ हैं जो शास्त्र पुराण इतिहास आदि में स्पष्ट विदित होते हैं परन्तु ' तन्त्र' शब्द सुनते ही बुद्धि में श्रीशिवशिवासंवादरूप तन्त्र शास्त्र का बोध होने लगता है । यह ' गौरीकाञ्चलिकातन्त्र 'शिवशिवासंवाद होने पर भी उससे कुछ विलक्षण है । इसमें श्री भवानी जी ने भगवान शंकर से लोकोपकार की बुद्धि से मनुष्यों को रोग, शोक और मृत्युके भयसे बचाने के लिये प्रश्न किया है, उसके उत्तर में श्रीशंकर जी ने भी ज्वरादि रोगों पर नाना प्रकार के कल्प कहे हैं, यद्यपि कन्द, मूल, वनस्पति आदियों में नाना प्रकारकी शक्ति स्वतः सिद्ध है और उनके प्रयोग से लाभ भी होता है, परन्तु तिथि, नक्षत्र, बार, ऋतु इत्यादि के नियम से उनका खनना उखाडना, इत्यादि क्रिया से उनमें विशेष बल आ जाता है और वो बहुत ज्यादा प्रभावी और शक्तिशाली हो जाती है। जैसा शरद और हेमन्त में वृक्षोंकी छाल और जड को लेना, · शिशिर में फल बसन्त में फूल और पत्ती इत्यादि यह शरीर रक्षणका अच्छा उपाय है। इन सब बातोंको कहकर महादेव ने न जाने कितने ही उपाय इ...