प्राचीनकाल से ही मनुष्य को अपने शुभाशुभ भविष्य को जानने की जिज्ञासा रही है। उसकी इसी प्रवृत्ति ने ज्योतिष विद्या को जन्म दिया । वास्तव में ज्योतिष शास्त्र एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जो ईश्वरीय एवं शुद्ध प्राकृतिक नियमों पर आधारित है। प्राचीन मनीषियों ने अपनी दिव्य ज्ञान चक्षुओं, सतत साधना द्वारा ग्रह-नक्षत्रों की प्रकृति एवं प्रभाव का गहन अनुशीलन किया। जिसके फलस्वरूप हमें गणित एवं फलित ज्योतिष के सिद्धान्त प्राप्त हुए। ज्योतिष शास्त्र भूत, भविष्य और वर्तमान की साकार कहानी है।
ज्योतिष एक प्राचीन विद्या है। यह हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है - हमारा अतीत, वर्तमान और भविष्य।काफी हद तक, ज्योतिष का उपयोग भविष्य की घटनाओं की भविष्यवाणी और भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है और इसे ग्रहों की स्थिति से संबंधित किसी भी प्रकार की दुर्घटना से छुटकारा पाने के लिए एक माध्यम के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।यह अवधारणा कि सौर मंडल में ग्रह पिंड वास्तव में भविष्य की दृष्टि प्रदान कर सकते हैं, लोगों को बहुत लंबे समय से आकर्षित कर रहे हैं।ज्योतिष के साथ हमारी रुचि एक समाचार पत्र के राशि चिन्ह अनुभाग पर एक नियमित नज़र से लेकर शादी, वित्त और करियर से संबंधित जीवन में महत्वपूर्ण निर्णय लेने और यहां तक कि स्वास्थ्य पर भविष्यवाणियां करने तक है।
इस पोस्ट में आपको जो पुस्तक उपलब्ध करवाई जा रही है। उसके अंदर आपको ज्योतिष विज्ञान से संबंधित सारी जानकारी पूरी विस्तार से देखने को मिलेगी। जो भी लोग ज्योतिष से संबंधित ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं, ज्योतिष के विषय में जानना चाहते हैं, उनके लिए पुस्तक बहुत ही अच्छी पुस्तक होने वाली है क्योंकि इस पुस्तक में बहुत ही सरल भाषा में आपको संपूर्ण जानकारी प्रदान की गई है।
प्रस्तुत पुस्तक में ज्योतिष सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण प्रारम्भिक जानकारी, कुंडली, ग्रहों की स्थित, राशियों की स्थिति, उनके फल देखना और ग्रह, नक्षत्रों का राशियों के ऊपर और मनुष्य के ऊपर क्या प्रभाव पड़ता है और मूलभूत गणितीय एवं फलित सम्बन्धी सिद्धान्त, सम्पूर्ण जन्मपत्री बनाने की सरल विधियां, नक्षत्रों, ग्रहों एवं राशियों के सम्बन्ध में विस्तृत वर्णन, तिथि- वारादि पंचाँग परिचय, नवग्रह स्पष्ट एवं भाव स्पष्ट करना, चलित चक्र, नवांशादि वर्ग लगाना तथा उन पर आधारित फलादेश कहना, विंशोत्तरी महादशा, अन्तर्दशा, प्रत्यन्तरदशा, सूक्ष्म दशा, प्राणदशा, अष्टोतरी -योगिनी आदि दशाएं निकालने की सरल विधियां उदाहरण सहित बतलाई गई हैं।
इसके अतिरिक्त चन्द्रस्पष्ट करने की सारिणीयां, भारत के प्रसिद्ध नगरों के अक्षांश-रेखांश एवं देशान्तर, गोचर ग्रह फल, गण्डान्त विचार आदि अनेक विषयों का समावेश किया गया है। जिसके अनुशीलन से साधारण पटित व्यक्ति भी एक कुशल ज्योतिषी बन सकता है। आशा है यह पुस्तक सभी वर्ग के लिए उपयोगी एवं संग्रहणीय होगी।
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