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Phala Dipika(फलदीपिका) book pdf

जानकारी पुस्तक का नाम Phala Dipika pdf साइज 876.7 Mb प्रदानकर्ता श्र राम परिवार लेखक Gopesha Kumar Ojha प्रष्ठ 677 प्रकाशन Motilal Banarasidas Varanasi YouTube channel plz subscribe फलदीपिका, मन्त्रेश्वर द्वार रचित भारतीय ज्योतिष का एक प्रमुख ग्रन्थ है। यह संस्कृत में है जिसमें २८ अध्याय तथा कुल ८६५ श्लोक हैं। इसमें मानव जीवन के प्रत्येक पहलू के ज्योतिषीय पक्ष पर विचार किया गया है। अपने मूल रूप में यह ग्रन्थ ग्रन्थ नामक प्राचीन भारतीय लिपि में ही उपलब्ध था और दक्षिण भारत में ही प्रचलित और प्रचारित था। १९२५ के आसपास यह ग्रन्थ सर्वप्रथम नागरी लिपि में कलकाता से प्रकाशित हुआ। फिर तमिल, तेलगु आदि दक्षिण भारतीय भाषाओं में इसके अनुवाद उपलब्ध हुए। इस ग्रन्थ के कतिपय श्लोक वैद्यनाथ कृत जातकपारिजात...

हमजाद साधना की संपूर्ण जानकारी व PDF पुस्तक

हमजाद साधना नमस्कार मित्रों इस लेख में आपका स्वागत है मित्रों परमात्मा ने मनुष्य को सभी प्रकार की तांत्रिक, मायावी और जादुई शक्तियाँ प्रदान की है लेकिन वह सारी शक्तियाँ निद्रा अवस्था में है बस हमें जरूरत है। उसे जागृत अवस्था में लाने की । मित्रों इनमें से ऐसी ही एक महाशक्तिशाली साधना के बारे हम आपको बताने वाले है जिसे हम छाया पुरुष या परछाई साधना के नाम से जानते है hamjad sadhna का amal अलौकिक और दैवीय है या शैतानी ये आपके मन में तब आता है जब आप इसके बारे में लोगो से सुनते है। दरअसल हमजाद साधना आपकी परछाई या फिर आपके अंतर की ऊर्जा का ही रूप है। अगर आप अवचेतन मन के बारे में सामान्य से थोड़ा बहुत भी ज्यादा जानते है तो आप इस तथ्य को नकार नहीं सकते की : हमारा अवचेतन मन इतना शक्तिशाली है की ये हर उस कल्पना या विचार को हकीकत में बदल सकता है जो आप सोच सकता है। ये बात सही भी है क्यों की हमारी परछाई या हमारी अंतर ऊर्जा जो लगभग निष्क्रिय होती है एक सामान्य इंसान के जीवनकाल में तो उसमे भला इतनी शक्ति कहा से की वो असंभव को भी पूरा कर दे। हमारे अंतर की ऊर्जा जो सकारात्मक या नकारात्मक दोनों हो सकती ...

Swarn Tantram Book pdf free download

नमस्कार मित्रों पारद विज्ञानं, पदार्थ विज्ञानं या स्वर्ण विज्ञानं दुनिया का सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि हे. जिसे फ़ारसी में " कीमियागिरी " और अंग्रेजी में " गोल्डन गॉडेस " कहा गया हे. अर्थात भगवन के दर्शन करना या उन्हें प्राप्त करना जितना ही कठिन हे उतना ही स्वर्ण विज्ञानं को  सीखना या समझना कठिन है. इसलिए पुरे संसार के पारद विज्ञानी इस खोज में लगे है की वो पारद विज्ञानं को भली भाति समझ ले।  पारद विज्ञानं वास्तव में एक ऐसा विषय है जिसे सिर्फ गुरु के चरणो में बैठ कर ही सीखा जा सकता है. अभी तक इस विषय पर जितने भी ग्रन्थ लिखे गए है वो या तो सभी संस्कृत  में लिखे गए है या फिर इतने दुरूह और कठिन है कि उ नको समझना अत्यंत मुश्किल है मेरे जीवन का बहुत बड़ा भाग जंगलो बीता है और मेने इसकी कठोरता को आत्मसात किया है. इस प्रकार के प्राचीन ज्ञान को प्राप्त करने के लिए समझने के लिए मेने कई वर्ष हिमालय कि कंदराओं बिताये इसलिए में पूर्ण प्रमाणिकता से कह सकता हु कि भारत के यह प्राचीन ज्ञान अद्वितीय है इसके द्वारा शुद्ध और निर्दोष स्वर्ण का निर्माण किया जा सकता है और कई पीढ़ियों कि दरिद्रता दूर ...

श्री विद्या-रत्नाकर पुस्तक PDF बिल्कुल फ्री में प्राप्त करें।

नमस्कार मित्रों श्री विद्या देवी ललिता त्रिपुरसुन्दरी से सम्बन्धित तन्त्र विद्या का हिन्दू सम्प्रदाय है। ललितासहस्रनाम में इनके एक सहस्र (एक हजार) नामों का वर्णन है। ललितासहस्रनाम में श्रीविद्या के संकल्पनाओं का वर्णन है। श्रीविद्या सम्प्रदाय आत्मानुभूति के साथ-साथ भौतिक समृद्धि को भी जीवन के लक्ष्य के रूप में स्वीकार करता है। श्रीविद्या का साहित्य विशाल है। ऋग्वेद मैं श्रीसूक्त मैं श्रीदेवी मतलब महालक्ष्मी जो परमेश्वरि के उपासना किया जाता हैं। ए ही वैदिक श्रीविद्या हैं। श्रीविद्या के भैरव हैं - त्रिपुर भैरव (देव शक्ति संगमतंत्र)। महाशक्ति के अनन्त नाम और अनन्त रूप हैं। इनका परमरूप एक तथा अभिन्न हैं। त्रिपुरा उपासकों के मतानुसार ब्रह्म आदि देवगण त्रिपुरा के उपासक हैं। उनका परमरूप इंद्रियों तथा मन के अगोचर है। एकमात्र मुक्त पुरूष ही इनका रहस्य समझ पाते हैं। यह पूर्णाहंतारूप तथा तुरीय हैं। देवी का परमरूप वासनात्मक है, सूक्ष्मरूप मंत्रात्मक है, स्थूलरूप कर-चरणादि-विशिष्ट है। श्रीविद्या के उपासकों में प्रथम स्थान काम (मन्मथ) का है। यह देवी गुह्य विद्या प्रवर्तक होने के कारण विश्वेश्वरी नाम...

गुरु गोरखनाथ की अद्भुत पुस्तक pdf

नमस्कार मित्रों  नाथ सम्प्रदाय भारत का एक हिंदू धार्मिक पन्थ है। मध्ययुग में उत्पन्न इस सम्प्रदाय में बौद्ध, शैव तथा योग की परम्पराओं का समन्वय दिखायी देता है। यह हठयोग की साधना पद्धति पर आधारित पंथ है। शिव इस सम्प्रदाय के प्रथम गुरु एवं आराध्य हैं। इसके अलावा इस सम्प्रदाय में अनेक गुरु हुए जिनमें गुरु मच्छिन्द्रनाथ /मत्स्येन्द्रनाथ तथा गुरु गोरखनाथ सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं। नाथ सम्प्रदाय समस्त देश में बिखरा हुआ था। गुरु गोरखनाथ ने इस सम्प्रदाय के बिखराव और इस सम्प्रदाय की योग विद्याओं का एकत्रीकरण किया, अतः इसके संस्थापक गोरखनाथ माने जाते हैं। नाथसांप्रदाय में योगी और जोगी एकही सिक्के के दो पहलू हैं, एक जो सन्यासी जीवन और दुसरा गृहस्थ जीवन हैं। सन्यासी, योगी, जोगी, नाथ ,अवधूत ,कौल,कालबेलिया, गोस्वामी (बिहार),उपाध्याय (पश्चिम उत्तर प्रदेश में), नामों से जाना जाता है। इनके कुछ गुरुओं के शिष्य मुसलमान, जैन, सिख और बौद्ध धर्म के भी थे। नाथ सम्प्रदाय भारत का एक हिंदू धार्मिक पन्थ है। मध्ययुग में उत्पन्न इस सम्प्रदाय में बौद्ध, शैव तथा योग की परम्पराओं का समन्वय दिखायी देता है। यह हठयोग की...

अघोर तंत्र साधना पुस्तक Pdf

नमस्कार मित्रों अघोर पंथ, अघोर मत या अघोरियों का संप्रदाय, हिंदू धर्म का एक संप्रदाय है। इसका पालन करने वालों को 'अघोरी' कहते हैं। इसके प्रवर्त्तक स्वयं अघोरनाथ शिव माने जाते हैं। रुद्र की मूर्ति को श्वेताश्वतरोपनिषद (३-५) में अघोरा वा मंगलमयी कहा गया है और उनका अघोर मंत्र भी प्रसिद्ध है। विदेशों में, विशेषकर ईरान में, भी ऐसे पुराने मतों का पता चलता है तथा पश्चिम के कुछ विद्वानों ने उनकी चर्चा भी की है।  अघोर पंथ के प्रणेता भगवान शिव माने जाते हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव ने स्वयं अघोर पंथ को प्रतिपादित किया था। अवधूत भगवान दत्तात्रेय को भी अघोरशास्त्र का गुरू माना जाता है। अवधूत दत्तात्रेय को भगवान शिव का अवतार भी मानते हैं। अघोर संप्रदाय के विश्वासों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और शिव इन तीनों के अंश और स्थूल रूप में दत्तात्रेय जी ने अवतार लिया। अघोर संप्रदाय के एक संत के रूप में बाबा किनाराम की पूजा होती है। अघोर संप्रदाय के व्यक्ति शिव जी के अनुयायी होते हैं। इनके अनुसार शिव स्वयं में संपूर्ण हैं और जड़, चेतन समस्त रूपों में विद्यमान हैं। इस शरीर और मन को साध कर और जड़-चेतन...