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नमस्कार मित्रों

पारद विज्ञानं, पदार्थ विज्ञानं या स्वर्ण विज्ञानं दुनिया का सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि हे. जिसे फ़ारसी में " कीमियागिरी " और अंग्रेजी में " गोल्डन गॉडेस " कहा गया हे. अर्थात भगवन के दर्शन करना या उन्हें प्राप्त करना जितना ही कठिन हे उतना ही स्वर्ण विज्ञानं को  सीखना या समझना कठिन है. इसलिए पुरे संसार के पारद विज्ञानी इस खोज में लगे है की वो पारद विज्ञानं को भली भाति समझ ले।

 पारद विज्ञानं वास्तव में एक ऐसा विषय है जिसे सिर्फ गुरु के चरणो में बैठ कर ही सीखा जा सकता है. अभी तक इस विषय पर जितने भी ग्रन्थ लिखे गए है वो या तो सभी संस्कृत  में लिखे गए है या फिर इतने दुरूह और कठिन है कि उ


नको समझना अत्यंत मुश्किल है
मेरे जीवन का बहुत बड़ा भाग जंगलो बीता है और मेने इसकी कठोरता को आत्मसात किया है. इस प्रकार के प्राचीन ज्ञान को प्राप्त करने के लिए समझने के लिए मेने कई वर्ष हिमालय कि कंदराओं बिताये इसलिए में पूर्ण प्रमाणिकता से कह सकता हु कि भारत के यह प्राचीन ज्ञान अद्वितीय है इसके द्वारा शुद्ध और निर्दोष स्वर्ण का निर्माण किया जा सकता है और कई पीढ़ियों कि दरिद्रता दूर कि जा सकती है.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस पुस्तक में जिस प्रकार के प्रयोग और परिक्षण दिए हुए है उसके माध्यम से आप घर बैठे इसमें पूर्णता प्राप्त कर सकते है पर अगर आप इस विषय को आत्मसात करना चाहते है तो ये सिर्फ गुरु चरणो में बैठ कर ही संभव है क्युकी यह विषय अनंत सागर कि तरह इहे जिसका कोई अंत नहीं है.

एक बार शंकराचार्य ने कहा था कि अगर मुझे दो या चार शिष्य ऐसे मिल जाये जो पूरी तरह समर्पित हो तो में पारद ज्ञान कि मदद से पुरे संसार कि दरिद्रता को समाप्त कर दूंगा।

भारत की प्राचीन रहस्य्मय विधयो में एक " कीमियागिरी " या " रसायन विद्या " प्रमुख विद्याओ में एक हे. इसका प्रचलन केवल भारत में ही नहीं बल्कि चीन अरब यूनान आदि देशो में था. देखा जाये तो आज परमाणु technology का जो विकास हुआ हे उसके मूल में यही रसायन विज्ञानं है
रसायन विज्ञानं में हलकी धातुओ से जैसे ताम्बा पारा सीसा, सोना या चांदी बनाने का ज्ञान ही नहीं बल्कि ऐसी औषधोया तैयार करना भी है जो की बुढ़ापे को योवन में और मृत्यु को अनत जीवन में बदलने का ज्ञान भी शामिल है. चिकित्सा विज्ञानं में प्राचीन काल से ही दो शब्दों पे बहुत जोर दिया गया है " देह सिद्धि "और लोह सिद्धि " यानि अमरत्व की प्राप्ति और जीवन में समृद्धि.

भारत के हर प्राचीन ग्रन्थ में इस विद्या का जिक्र है. अर्थववेद में इस विद्या के bare में विस्तार  से वर्णन गया है. उसमे बताया गया है की अगर पर को संखिया या नील थोथे से पुट देकर जारण किया जाये तो  निश्चय ही वह पारा लोहे को सोने में बदल देता है .
रसायन विद्या की उत्पत्ति भगवान शिव से मानी जाती है. जिन्हे वेदो में रूद्र का नाम दिया गया है. भगवान शिव ने इस विद्या के सम्बन्ध में कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए है जिनका विवरण विस्तार से " रुद्रयामल तंत्र " में प्राप्त होता है. इसके अनुसार पारद शिव वीर्य है और अपने आप में एक सजीव वस्तु है. यदि पारद में अरण्ड के बीजो का पुट देकर स्वर्णग्रास दिया जाये तो ye पारा निश्चित ही सोने में बदल जाता है. कई आचार्यो ने इस कथन पर प्रयोग भी किये और सफल हुए .

उन दिनों " अश्वनी कुमार " देवताओ के चिकित्सक थे और इस विद्या के पूर्ण जानकार थे. उन्होंने एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ लिखा जिसका नाम " धातु रत्न माला " है इसमें ताम्बे से स्वर्ण बनाने की विधिया बताई गयी है.
अश्वनी कुमार ने पहली बार पारद के आठ संस्कारो की स्पष्ट विवेचना की. यदि ऐसे अष्ट संस्कारित पारे को किसी वृद्ध अशक्त या रोगी को दिया जाये तो यह पूर्ण काया कल्प करने की क्षमता रखता है. अश्वनी कुमार ने यह भी स्पष्ट किया है की यदि ताम्बे को पूर्ण रूप से पानी की तरह पिघला कर, इस अष्ट संस्कारित पारे का सम्पुट किया जाये तो उसी समय यह सोने में परिवर्तित हो जायेगा.
" धरणीधर संहिता " में पारद के बारे में प्रामाणिक रूप से बताते हुए कहा गया है -

य: श्लेषप्रनिलपित्तदोषशमनो रोगापहो मूर्छित: !
पंचत्व च गतो ददाति विपुलं राजयं चिरिंजीवितम् !!
वृद्धं खे गमन: करोत्यमरतां विद्याधरत्व नृणा !
सो य: पातु सूरासुरेन्द्रनमित: श्री सूतराज प्रभु !!
अर्थात पारे को यदि मूर्छित कर दिया जाये तो ऐसा पारा शरीर में वात पित्त एवं कफ को दूर करता है और यदि पारद का विशेष संस्कारो से मारण कर दिया जाये तो ऐसा पारद दीर्घायु देता हुआ अमरत्व प्रदान करता है और यदि पारद के आगे के संस्कार भी पुरे किये जाये तो यह आकाश गमन गुटिका देकर मनुष्य को आकाश में विचरण करने की सामर्थ्य प्रदान करता है। ऐसे मनुष्य को देवता भी प्रणाम करते है। 


ऐसी बहुत सी गुप्त विधियाॅ हैं जिनका  उपयोग करके स्वर्ण का बहुत अलग अलग तरीके से प्रयोग किया जा सकता है और ताम्र को भी अनेक प्रकार से अनेक रूप में बदला जा सकता है लेकिन यह सब विधियां अब अस्तिव में नही है अर्थात् विलुप्त हो गई है। इस पुस्तक में ऐसे ही देखने को मिलेंगे को सोने में बदलने की विधियां तथा सोने के औषधीय गुण भारत के औषधि गुण आदि जानकारी देखने को मिलेगी।

और आज की इस पोस्ट में हम आप सभी लोगों को माता पारद विद्या से संबंधित एक बहुत अच्छी पुस्तक उपलब्ध करवा रहे हैं। इस पुस्तक को हमारे चैनल के एक सदस्य ने मांगा था, उन्हीं के निवेदन पर हम आप सभी लोगों को यह पुस्तक उपलब्ध करवा रहे हैं। पुस्तक से संबंधित सारी जानकारी मैंने आपको वीडियो में उपलब्ध करवा दिया जो आप देख सकते हैं और पुस्तक नीचे उपलब्ध करवा दी गई है अगर कोई भी परेशानी है तो आप नीचे कमेंट कर दीजिएगा आपकी जो भी परेशानी होगी उसका हल जरूर करेंगे।

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