दो शब्द बनुश्रुति हैं कि कलिकाल के पारम्भ में भूतभावन भगवान शंकर ने प्राचीन ' मंत्र, तंत्र, शास्त्र के सभी मंत्रों तथा तंत्रो को रस दृष्टि से कील दिया कि कलियुग के अविचारी मनुष्य उनका दुरुपयोग न करने लगें । महामंत्र गायत्री भी विभिन्न ऋषियों द्वारा शाप ग्रस्त हुआ तथा उसके लिए भी उत्कीलन की विधि स्वीकृत की गयी। अन्य मंत्रों तथा तंत्रो के लिए भी उत्कीलन की विधियाँ निर्धारित की गई हैं । जब तक उन विधियों का प्रयोग नहीं किया जाता, तब तक कोई भी मंत्र प्रभावकारी नहीं होता । शास्त्रीय-मन्त्रों की उप्कीलन विधियों का वर्णन मन्त्र शास्त्रीय ग्रन्थों में पाया जाता हैं उनका ज्ञान संस्कृत भाषा के जानकार हो प्राप्त कर पातेते हैं। साबर मंत्र सागर पुस्तक PDF बिल्कुल फ्री शास्त्रीय-मन्त्रों के कीलित हो जाने पर लोक-हिर्तयी सिद्ध-पुरुषों ने जन-कल्याणा्थ समय-समय पर लोक-भाषा के मंत्रों की रचना की । इन मन्त्रों को ही "शाबर मंत्र" कहा जाता हैं । "शाबर मंत्र तंत्र लोक भाषाओं में पाये जाते हैं और उनकी साधन तथा प्रयोग विधि भी अपेक्षाकृत अधिक सरल होती हैं, साथ ही प्रभाव में भी प्राचीन शास्...
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