नाभि-दर्शना अप्सरा साधना

नाभि-दर्शना अप्सरा बिल्कुल सरल साधना विधि 

इस पोस्ट में हमने आज आप सभी को नाभि-दर्शना अप्सरा साधना उपलब्ध करा रहे है। हमारे एक सदस्य ने हमें कमेंट करके ये साधना मांगी थी। इसलिए ये साधना हम आपको दे रहे है, अगर आपको भी कोई साधना या साधनाओं से संबंधित पुस्तक चाहिए तो आप भी हमसे नीचे कमेंट करके या हमारे चैनल पर कमेंट करके पुस्तक प्राप्त कर सकते है। 

आपको ग्रंथों में नाभि-दर्शना अप्सरा के बारे में बहुत ज्यादा देखने को मिल जाएगा एक प्रकरण है जो कि हम आपको यहां पर बताते हैं-
    एक बार राजा भोज के अत्यधिक हट करने पर कालिदास ने राजा भोज के समक्ष नाभि दर्शना अप्सरा को प्रकट करके दिखाया था। उनका रूप और सौंदर्य बिल्कुल ही अलग था, उनके जैसी सुंदर स्त्री राजा भोज ने पहले कभी भी नहीं देखा था। वह पूर्ण रुप से सौंदर्य और यौवन से छलकते जाम की तरह दिख रही थी। उनका सारा शरीर गौर वर्ण और चंद्रमा की चांदनी में नहाया हुआ सा लग रहा था।
    उस सुंदर अप्सरा को कालिदास के कक्ष में देख कर राजा भोज बहुत अधिक संयमित हो गए  और बिल्कुल बेसुध से हो गए उने हर जगह केवल वो अप्सरा ही दिखाई दे रही थी।
     साधना ग्रंथों में नाभि दर्शना के बारे में जो कुछ मिलता है उसके अनुसार नाभि दर्शना षोडश वर्षीय अत्यंत ही सुकुमार और सौंदर्य की साम्राज्ञी है। उसका सारा शरीर कमल से भी ज्यादा नाजुक और गुलाब से भी ज्यादा सुंदर है। उसके सारे शरीर में धीमी-धीमी खुशबू को प्रवाहित होती रहती है जो कि उसकी उपस्थिति का भान कराती रहती है और उनकी लंबे-लंबे काले-काले नेन है, लहराते हुए झरने जैसे केश और चंद्रमा की तरह लम्बी बाहे और सुन्दरता से लिपटा हुआ पुरा शरीर वातावरण में एक अलग सी मादकता बिखेर देता है। 
     माना जाता है कि इसे चंद्रमा का वरदान प्राप्त है कि जो भी इस के संपर्क में आता है वह पुरुष पूर्ण रूप से रोगों से मुक्त होकर चितवन बन जाता है, उसके शरीर का कायाकल्प हो जाता है और पौरुष की दृष्टि से वे अत्यंत प्रभावशाली बन जाता है। और फिर नाभि दर्शना अप्सरा को उपहार देने का भी शौक है जिससे कि जो भी साधक इस की सिद्धि करता है उसे यह कई प्रकार के उपहार प्रदान करती है। जैसे कि हीरे मोती स्वर्ण मुद्रा और भी बहुत सारी चीजें। और जीवन भर उसके अनुकूल रहकर उसके और आज्ञा का पालन करती है। वह उसका प्रत्येक मामले में मार्गदर्शन करती रहती है, मातृत्व की तरह भोजन कराती है, प्रेमिका की तरह सुख एवं आनन्द की वर्षा करती रहती है।

नामिदर्शना अप्सरा साधना




यह एक दिन की साधना है, और कोई भी साधक इस साधना को सिद्ध कर सकता है। किसी भी शुक्रवार की रात्रि को यह साधना सिद्ध की जा सकती है। इस साधना को सिद्ध करने के लिए थोड़े बहुत धैर्य की जरूरत है, क्योंकि कई बार पहली बार में सफलता नहीं भी मिल पाती, तो साधक को चाहिए कि वह इसी साधना को दूसरी बार या तीसरी बार भी सम्पन्न करें, परंतु अगले किसी भी शुक्रवार की रात्रि को ही यह साधना करें।

साधना समय

यह साधना रात्रि को ही सम्पन्न की जा सकती है, और साधक चाहे तो अपने घर में या किसी भी अन्य स्थान पर इस साधना को सम्पन्न कर सकता है। 

किसी भी शुक्रवार की रात्रि को साधक सुंदर, सुसज्जित वस्त्र पहने, इसमें यह जरूरी नहीं है कि साधक धोती ही पहिने, अपितु उसको जो वस्त्र प्रिय हो, जो वस्त्र उसके शरीर पर खिलते हों, या जिन वस्त्रों को पहिनने से वह सुन्दर लगता हो, वे वस्त्र धारण कर साधक उत्तर दिशा की ओर मुंह कर आसन पर बैठे। बैठने से पूर्व अपने वस्त्रों पर सुगन्धित इत्र का छिड़काव करें और पहले से ही दो सुंदर गुलाब की मालाएं ला कर अलग पात्र में रख दें। यदि गुलाब की माला उपलब्ध न हो तो किसी भी प्रकार के पुष्पों की माला ला कर रख सकता है।

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फिर सामने एक रेशमी वस्त्र पर अद्वितीय 'नाभिदर्शना महायंत्र' को स्थापित करें और कैंसर से उसे तिलक करें। यंत्र के पीछे नाभिदर्शना चित्र को फ्रेम में मढ़वा कर रख दें, और सामने सुगन्धित अगरबत्ती एवं शुद्ध घृत का दीपक लगाएं। इसके बाद हाथ में जल लेकर संकल्प करें कि मैं अमुक गोत्र, अमुक पिता का पुत्र, अमुक नाम का साधक, नाभिदर्शना अप्सरा को प्रेमिका रूप में सिद्ध करना चाहता हूं, जिससे कि वह जीवन भर मेरे वश में रहे, और मुझे प्रेमिका की तरह ही सुख, आनंद एवं ऐश्वर्य प्रदान करे। इसके बाद 'नाभिदर्शना अप्सरा माला' से निम्न मंत्र जप संपन्न करें। इसमें 51 माला मंत्र जप उसी रात्रि को सम्पन्न हो जाना चाहिए, हो सकता है, इसमें तीन या चार घंटे लग सकते हैं।


अगर बीच में घुंघुरुओं की आवाज आए या किसी का स्पर्श अनुभव हो, तो साधक विचलित न हो और अपना ध्यान न हटाएं, बल्कि 51 माला मंत्र जप एकाग्र चित्त हो कर सम्पन्न करें।

 इस साधना में जितनी ही ज्यादा एकाग्रता होगी, उतनी ही ज्यादा सफलता मिलेगी 51 माला पूरी होते होते जब यह अद्वितीय अप्सरा घुटने से घुटना सटाकर बैठ जाए, तब मंत्र जप पूरा होने के बाद साधक अप्सरा माला को स्वयं धारण कर लें, और सामने रखी हुई गुलाब की माला उसके गले में पहिना दें। ऐसा करने पर नाभिदर्शना अप्सरा भी सामने रखी हुई दूसरी माला उठा कर साधक के गले में डाल देती है।

तब साधक नाभिदर्शना अप्सरा से वचन ले ले कि " मैं जब भी अप्सरा माला से एक माला मंत्र जप करूं, तब तुम्हें मेरे सामने सशरीर उपस्थित होना है, और मैं जो चाहूं वह मुझे प्राप्त होना चाहिए तथा पूरे जीवन भर मेरी आज्ञा को उल्लंघन न हो। " तब नाभि दर्शना अप्सरा साधक के हाथ पर अपना हाथ रखकर वचन देती है, कि मैं जीवन भर आपकी इच्छानुसार कार्य करती रहूंगी। इस प्रकार साधना को पूर्ण समझें, और साधक अप्सरा के जाने के बाद उठ खड़ा हो। आपकी साधना पुर्ण हो गयी।

ध्यान रखें कि साधक को चाहिए कि वह इस घटना को केवल अपने गुरु के अलावा और किसी के सामने स्पष्ट न करे, क्योंकि साधना ग्रंथों में ऐसा ही उल्लेख मुझे पढ़ने को मिला है।

 मंत्र है
  ।। ॐ ऐं श्री नाभिदर्शना अप्सरा प्रत्यक्ष श्रीं ऐं फट् ।।

उपरोक्त मंत्र गोपनीय है, साधना सम्पन्न होने पर नाभिदर्शना अप्सरा महायंत्र को अपने गोपनीय स्थान पर रख दें, और अप्सरा चित्र को भी अपने बाक्स में रख दें गले में जो अप्सरा माला पहनी हुई है, वह भी अपने घर में गुप्त स्थान पर रख दें, जिससे कि कोई दूसरा उसका उपयोग न कर सके।

जब साधक को भविष्य में नाभिदर्शना अप्सरा को बुलाने की इच्छा हो, तब उस महायंत्र के सामने अप्सरा माला से उपरोक्त मंत्र की एक माला मंत्र जप कर लें। अभ्यास होने के बाद तो यंत्र या माला की आवश्यकता भी नहीं होती, केवल मात्र सौ बार मंत्र उच्चारण करने पर ही अप्सरा प्रत्यक्ष प्रकट हो जाती है।

हमने आपको अब सराहना भी की पूरी साधना बता दी है। अगर कोई परेशानी आए तो आप नीचे कमेंट कर दीजिएगा। और एक सुझाव है अगर साधना करना चाहते हैं तो पहले कृपया करके अपने गुरु से संपर्क कीजिएगा।

और जो लेख यहां पर लिखा गया है अगर आप इसे कॉपी करके कहीं पर भी कॉपी पेस्ट करते हैं तो आप के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है इसका उपयोग अन्य स्थान पर करने से पहले एक बार अनुमति जरूर ले लें इसके बाद आप इसका अन्य स्थान पर उपयोग कर सकते हैं अन्यथा आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

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🌹🏵️ जय मां भवानी

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