सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

शाबर मंत्र सागर पुस्तक PDF बिल्कुल फ्री

 

दो शब्द

बनुश्रुति हैं कि कलिकाल के पारम्भ में भूतभावन भगवान शंकर ने प्राचीन ' मंत्र, तंत्र, शास्त्र के सभी मंत्रों तथा तंत्रो को रस दृष्टि से कील दिया कि कलियुग के अविचारी मनुष्य उनका दुरुपयोग न करने लगें । 

महामंत्र गायत्री भी विभिन्न ऋषियों द्वारा शाप ग्रस्त हुआ तथा उसके लिए भी उत्कीलन की विधि स्वीकृत की गयी। अन्य मंत्रों तथा तंत्रो के लिए भी उत्कीलन की विधियाँ निर्धारित की गई हैं । जब तक उन विधियों का प्रयोग नहीं किया जाता, तब तक कोई भी मंत्र प्रभावकारी नहीं होता । शास्त्रीय-मन्त्रों की उप्कीलन विधियों का वर्णन मन्त्र शास्त्रीय ग्रन्थों में पाया जाता हैं उनका ज्ञान संस्कृत भाषा के जानकार हो प्राप्त कर पातेते हैं। 

शास्त्रीय-मन्त्रों के कीलित हो जाने पर लोक-हिर्तयी सिद्ध-पुरुषों ने जन-कल्याणा्थ समय-समय पर लोक-भाषा के मंत्रों की रचना की । इन मन्त्रों को ही "शाबर मंत्र" कहा जाता हैं । "शाबर मंत्र तंत्र लोक भाषाओं में पाये जाते हैं और उनकी साधन तथा प्रयोग विधि भी अपेक्षाकृत अधिक सरल होती हैं, साथ ही प्रभाव में भी प्राचीन शास्त्रीय मन्त्रों से स्पर्धा करते हैं ।

“शाबर मंत्रो के प्रचार प्रसार में नाथ-योगियों का योगदान महत्वपूर्ण रहो हैं । यहीं कारण हैं कि अधिकांश 'सावर मंत्रो मे गुरू गोरखनाथनाथ की दुहाई का उल्लेख पाया जाता हैं ।

जोगी, लोना चमारी आदि सिद्ध-पुरुष भी शावर-मत्त्रों के जनक एवम्‌ प्रवर्तक माने जाते हैं । “शाबर मंत्र - तंत्र के जन्म दाता भी महान्‌ तांत्रिक भगवान्‌ शंकर के भक्त थे, अत: उनके द्वारा विरचित मंत्रादि को भगवान्‌ शंकर ने सफल होने का आशीर्वाद दिया--ऐसी भी मान्यता है। बहरहाल गोस्वामी तुलसीदास ने भी 'अनमिल अवर मंत्र  न जापू, प्रगट प्रभाव भहेश प्रतापू” रहकर शाबर मन्त्रों के महत्व को स्वीकारा हैं ।  शाबर मन्त्रों के संग्रह ग्रंथो के नाम पर वर्तमात समय में अनेक पुस्तकें आजार में उपलब्ध हैं परन्तु उनमें से अधिकांश अशुद्ध, असंगत एवम्‌ दिग्ब्रमित करने वाली ही हैं । उनमें उल्लिखित प्रयोग साधक के लिए लाभ के स्थान पर हानिकारक ही सिद्ध होते हैं।

Password - 3333

प्रस्तुत पुस्तक की सामग्री ' शाबर मंत्र - तंत्र' विषयक दुर्लभ, प्राचीन हस्तलिखित ग्रन्थों एवं ऐतद्‌ विषयक अनुभवी विद्वानों की कृपा से उपलब्ध की गई हैं । अत: इस ग्रन्थ में संकलित मंत्र-तंत्र साधकों के लिये उपयोगी एवम्‌ हितकर सिद्ध होंगे, ऐसी आशा है ।

 जहाँ तक सम्भव हो सका हैँ इस संकलन में प्रामाणिक एवम्‌ विश्वसनीय प्रयोग ही संकलित किये गये हैं, तथापि इनकी सफलता साधक की सच्ची लगन एवम्‌ साधना पर ही निर्भर करेगी--इसमें सम्देह नहीं हैं ।

हमें विश्वास हैं कि ' शाबर-तंत्र ' के जिज्ञासुओं के लिए यह पुस्तक मार्ग-दर्शक सिद्ध होंगा ।


आप हमसे मेरे फेसबुक ग्रुप टेलीग्राम ग्रुप पर जुड़ सकते हैं।

हमारे ब्लॉग की लिंक - https://shreerampariwar.blogspot.com

फेसबुक ग्रुप का लिंक - https://facebook.com/groups/715119132723959/

टेलीग्राम ग्रुप का लिंक - https://t.me/Shreerampariwar


पुस्तक प्राप्त करें - Download

Password - 3333

 

आप सभी ने चैनल को सहयोग प्रदान किया इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

।।जय मां भवानी।।


टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शिव स्वरोदय पुस्तक PDF बिल्कुल फ्री

नमस्कार मित्रों इस पोस्ट में हम आप सभी को शिव स्वरोदय नामक पुस्तक उपलब्ध करवा रहे हैं। यह पुस्तक माता पार्वती और भगवान शिव के संवाद के रूप में आपको देखने को मिलेगी।इसके अंदर भगवान शिव ने माता पार्वती को स्वरोदय के बारे में बताया है उसके महत्व के बारे में भगवान ने बताया है। शिव स्वरोदय पुस्तक में आपको स्वर से संबंधित बहुत जानकारी देखने को मिलेगी स्वर से संबंधित सारी जानकारी हमने आपको एक अन्य पोस्ट में उपलब्ध करवा रखी।  Also Read शिव स्वरोदय क्या हैं। शिव स्वरोदय पुस्तक में आपको स्वर से संबंधित सभी प्रकार की चीजें, सभी प्रकार के रोगों का निदान और बहुत से तांत्रिक प्रयोग भी देखने को मिलेंगे बहुत से ऐसे प्रयोग देखने को मिलेंगे जिनको आप स्वरोदय के माध्यम से दूर कर सकते हैं। स्वरोदय पुस्तक बहुत ही बड़ा आधुनिक विज्ञान है जो कि आपको आज हम इस पोस्ट में उपलब्ध करवा रहे है। 🙏‍ देखिए इस तरीके के बहुत से ग्रंथ हैं जो कि आज के आधुनिक विज्ञान से भी बहुत ज्यादा आधुनिक है उन ग्रंथों में आपको ऐसे ऐसी जानकारी देखने को मिलेगी जो कि आज के वैज्ञ...

सचित्र आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की पुस्तक || ayurvedic Jadi buti book pdf

आयुर्वेद शब्द का अर्थ क्या है? आयुर्वेद ( = आयुः + वेद ; शाब्दिक अर्थ : 'आयु का वेद' या 'दीर्घायु का विज्ञान' एक मुख्य और सबसे श्रेष्ठ चिकित्सा प्रणाली है जिसकी जड़ें भारतीय उपमहाद्वीप में हैं। भारत, नेपाल और श्रीलंका में आयुर्वेद का अत्यधिक प्रचलन है, जहाँ लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या इसका उपयोग करती है। आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है। आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है। आयुर्वेद के अंग धन्वन्तरि आयुर्वेद के देवता हैं। वे विष्णु के अवतार माने जाते हैं। हिताहितं सुखं दुःखमायुस्तस्य हिताहितम्। मानं च तच्च यत्रोक्तमायुर्वेदः स उच्यते॥  आयुर्वेद के ग्रन्थ तीन शारीरिक दोषों (त्रिदोष = वात, पित्त, कफ) के असंतुलन को रोग का कारण मानते हैं और समदोष की स्थिति को आरोग्य।  आयुर्वेद को त्रिस्कन्ध (तीन कन्धों वाला) अथवा त्रिसूत्र भी कहा जाता है, ये तीन स्कन्ध अथवा त्रिसूत्र हैं - हेतु , लिंग , औषध।  इसी प्रकार स...

शाबर मंत्र सागर भाग-२ पुस्तक PDF Download

    दो शब्द बनुश्रुति हैं कि कलिकाल के पारम्भ में भूतभावन भगवान शंकर ने प्राचीन ' मंत्र, तंत्र, शास्त्र के सभी मंत्रों तथा तंत्रो को रस दृष्टि से कील दिया कि कलियुग के अविचारी मनुष्य उनका दुरुपयोग न करने लगें ।  महामंत्र गायत्री भी विभिन्न ऋषियों द्वारा शाप ग्रस्त हुआ तथा उसके लिए भी उत्कीलन की विधि स्वीकृत की गयी। अन्य मंत्रों तथा तंत्रो के लिए भी उत्कीलन की विधियाँ निर्धारित की गई हैं । जब तक उन विधियों का प्रयोग नहीं किया जाता, तब तक कोई भी मंत्र प्रभावकारी नहीं होता । शास्त्रीय-मन्त्रों की उप्कीलन विधियों का वर्णन मन्त्र शास्त्रीय ग्रन्थों में पाया जाता हैं उनका ज्ञान संस्कृत भाषा के जानकार हो प्राप्त कर पातेते हैं।  शास्त्रीय-मन्त्रों के कीलित हो जाने पर लोक-हिर्तयी सिद्ध-पुरुषों ने जन-कल्याणा्थ समय-समय पर लोक-भाषा के मंत्रों की रचना की । इन मन्त्रों को ही "शाबर मंत्र" कहा जाता हैं । "शाबर मंत्र तंत्र लोक भाषाओं में पाये जाते हैं और उनकी साधन तथा प्रयोग विधि भी अपेक्षाकृत अधिक सरल होती हैं, साथ ही प्रभाव में भी प्राचीन शास्त्रीय मन्त्रों से स्पर्धा...