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Har Vrat Ke Niyam Ek Book Mein | Vrat Rules Full Guide in Hindi
सभी व्रतों के सही नियम और विधि: क्यों ज़रूरी है एक पुस्तक से पूरा मार्गदर्शन?
भूमिका: क्यों आवश्यक हैं व्रत के शास्त्रीय नियम?
हिंदू धर्म में व्रत रखना न केवल धार्मिक परंपरा है, बल्कि आत्मशुद्धि, संयम और आत्मसंयम का भी अभ्यास है। व्रत से संबंधित शास्त्रीय नियमों और विधियों का पालन करने से ही व्रत का संपूर्ण फल मिलता है। अगर व्रत के दौरान कोई नियम छूट जाए या विधि अधूरी रह जाए तो साधक को अपेक्षित पुण्य और मानसिक शांति नहीं मिलती।
व्रत के सही नियम क्यों हैं ज़रूरी?
संपूर्ण लाभ: सही विधि से किया गया व्रत मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ देता है।
पुण्य की प्राप्ति: अनियमित या अधूरे व्रत से व्रती को फल नहीं मिलता।
सकारात्मक जीवन: नियमपूर्वक उपवास व्यक्ति के व्यवहार, दिनचर्या और सोच को बेहतर बनाता है।
व्रत के कुछ प्रमुख नियम और सावधानियाँ
व्रत का संकल्प विधिवत और शुभ मुहूर्त में करें।
दिनभरशुद्धता, संयम, क्षमा, दया, सत्य का पालन करें।
तली-भुनी वस्तुएं, मद्य, मांस, अन्न-जल आदि का संयमपूर्वक त्याग करें।
पूजा विधि, मंत्र, कथा व पाठ का स्मरण आवश्यक है।
दिन में सोना, असत्य बोलना, चोरी, छल-कपट से बचें।
व्रत के दौरान झूठ, क्रोध, लोभ, मोह से दूर रहें।
पूर्ण विधि से उद्यापन करें, अधूरा व्रत निष्फल होता है।
हर जगह क्यों नहीं मिलती सम्पूर्ण व्रत विधि?
अक्सर देखा जाता है कि इंटरनेट, यूट्यूब या प्रमुख धार्मिक पुस्तकों में किसी खास व्रत की विधि या नियम अधूरे, भ्रामक या अधपके रूप में ही मिलते हैं। कई बार स्थान, परंपरा व स्थानीय आस्थाओं के अनुसार विधि बदल जाती है — जिससे आम भक्त भ्रमित हो जाता है। संपूर्ण, प्रमाणिक व्रत नियम एकत्रित जानकारी एक जगह मिलना कठिन है।
विशेष पुस्तक में सभी व्रत नियमों का संकलन: क्यों है यह पुस्तक जरूरी?
अब इसी समस्या को हल करती है — एक ऐसी विशेष पुस्तक जिसमें सभी प्रमुख हिन्दू व्रतों/उपवासों के नियम, विधियाँ, लाभ और सावधानियाँ एक जगह मिलती हैं:
एक ही पुस्तक में सोमवार, गुरुवार, सत्यनारायण, चातुर्मास, प्रदोष, एकादशी, व्रत तथा अधिक मास आदि की पूरी सूचना पाई जाती है।
हर व्रत के पूरे नियम, विधि, आवश्यक मंत्र, कथा और निषेधों को विस्तार से लिखा गया है।
पुस्तक में सरल भाषा, वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा शास्त्र प्रमाण दिए गए हैं।
इसमें पुरुषों, स्त्रियों, गृहस्थ, विद्यार्थी आदि के लिए अलग-अलग संकल्प व सलाह भी दी गई हैं।
कई जगह छूटने वाले 'छोटे-छोटे' नियम और भेद भी इस पुस्तक में विस्तार से मिलते हैं, जो अमूमन आम श्रद्धालुओं को ज्ञात नहीं रहते।
निष्कर्ष: एक जगह सम्पूर्ण व्रत नियमों का लाभ
यदि आप भी हर व्रत की सही, शास्त्रीय व आसान विधि और गूढ़ नियम जानना चाहते हैं और बार-बार जगह-जगह भटकना नहीं चाहते — तो यह पुस्तक आपके लिए अमूल्य है। इस आर्टिकल के ज़रिए आप जान सकते हैं कि जब सभी नियम एक जगह मिल जाएं, तो साधना आसान भी हो जाती है और फलदायी भी।
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सूचना:हमें उम्मीद है, कि आपको श्री राम परिवार की यह पोस्ट पसंद आई होगी। आप इस पोस्ट को आगे share करके हमे सहयोग जरूर प्रदान करे। आपका बहुत आभार ।। 👁 ध्यान देंः
दो शब्द बनुश्रुति हैं कि कलिकाल के पारम्भ में भूतभावन भगवान शंकर ने प्राचीन ' मंत्र, तंत्र, शास्त्र के सभी मंत्रों तथा तंत्रो को रस दृष्टि से कील दिया कि कलियुग के अविचारी मनुष्य उनका दुरुपयोग न करने लगें । महामंत्र गायत्री भी विभिन्न ऋषियों द्वारा शाप ग्रस्त हुआ तथा उसके लिए भी उत्कीलन की विधि स्वीकृत की गयी। अन्य मंत्रों तथा तंत्रो के लिए भी उत्कीलन की विधियाँ निर्धारित की गई हैं । जब तक उन विधियों का प्रयोग नहीं किया जाता, तब तक कोई भी मंत्र प्रभावकारी नहीं होता । शास्त्रीय-मन्त्रों की उप्कीलन विधियों का वर्णन मन्त्र शास्त्रीय ग्रन्थों में पाया जाता हैं उनका ज्ञान संस्कृत भाषा के जानकार हो प्राप्त कर पातेते हैं। शास्त्रीय-मन्त्रों के कीलित हो जाने पर लोक-हिर्तयी सिद्ध-पुरुषों ने जन-कल्याणा्थ समय-समय पर लोक-भाषा के मंत्रों की रचना की । इन मन्त्रों को ही "शाबर मंत्र" कहा जाता हैं । "शाबर मंत्र तंत्र लोक भाषाओं में पाये जाते हैं और उनकी साधन तथा प्रयोग विधि भी अपेक्षाकृत अधिक सरल होती हैं, साथ ही प्रभाव में भी प्राचीन शास्त्रीय मन्त्रों से स्पर्धा...
नमस्कार मित्रों इस पोस्ट में हम आप सभी को शिव स्वरोदय नामक पुस्तक उपलब्ध करवा रहे हैं। यह पुस्तक माता पार्वती और भगवान शिव के संवाद के रूप में आपको देखने को मिलेगी।इसके अंदर भगवान शिव ने माता पार्वती को स्वरोदय के बारे में बताया है उसके महत्व के बारे में भगवान ने बताया है। शिव स्वरोदय पुस्तक में आपको स्वर से संबंधित बहुत जानकारी देखने को मिलेगी स्वर से संबंधित सारी जानकारी हमने आपको एक अन्य पोस्ट में उपलब्ध करवा रखी। Also Read शिव स्वरोदय क्या हैं। शिव स्वरोदय पुस्तक में आपको स्वर से संबंधित सभी प्रकार की चीजें, सभी प्रकार के रोगों का निदान और बहुत से तांत्रिक प्रयोग भी देखने को मिलेंगे बहुत से ऐसे प्रयोग देखने को मिलेंगे जिनको आप स्वरोदय के माध्यम से दूर कर सकते हैं। स्वरोदय पुस्तक बहुत ही बड़ा आधुनिक विज्ञान है जो कि आपको आज हम इस पोस्ट में उपलब्ध करवा रहे है। 🙏 देखिए इस तरीके के बहुत से ग्रंथ हैं जो कि आज के आधुनिक विज्ञान से भी बहुत ज्यादा आधुनिक है उन ग्रंथों में आपको ऐसे ऐसी जानकारी देखने को मिलेगी जो कि आज के वैज्ञ...
आयुर्वेद शब्द का अर्थ क्या है? आयुर्वेद ( = आयुः + वेद ; शाब्दिक अर्थ : 'आयु का वेद' या 'दीर्घायु का विज्ञान' एक मुख्य और सबसे श्रेष्ठ चिकित्सा प्रणाली है जिसकी जड़ें भारतीय उपमहाद्वीप में हैं। भारत, नेपाल और श्रीलंका में आयुर्वेद का अत्यधिक प्रचलन है, जहाँ लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या इसका उपयोग करती है। आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है। आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है। आयुर्वेद के अंग धन्वन्तरि आयुर्वेद के देवता हैं। वे विष्णु के अवतार माने जाते हैं। हिताहितं सुखं दुःखमायुस्तस्य हिताहितम्। मानं च तच्च यत्रोक्तमायुर्वेदः स उच्यते॥ आयुर्वेद के ग्रन्थ तीन शारीरिक दोषों (त्रिदोष = वात, पित्त, कफ) के असंतुलन को रोग का कारण मानते हैं और समदोष की स्थिति को आरोग्य। आयुर्वेद को त्रिस्कन्ध (तीन कन्धों वाला) अथवा त्रिसूत्र भी कहा जाता है, ये तीन स्कन्ध अथवा त्रिसूत्र हैं - हेतु , लिंग , औषध। इसी प्रकार स...
tele group me mujhe unblock kre.
जवाब देंहटाएंafter entring file si not downloading,i have tried freqyuntly
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