प्रचण्ड चण्डिका महामाया निकुम्बाला देवी साधना | Most powerfull goddess in hindunism. #shree_ram_pariwar
*प्रचण्ड चण्डिका महामाया निकुम्बाला
देवी साधना*(Shree Ram Pariwar)
आज हम आपको एक ऐसी गुप्त साधना के बारे में जानकारी
प्रदान कर रहे हैं, जो पूर्णत्या दुर्लभः और गोपनीय है, जिसकी शक्ति के
सामने ब्रह्मास्त्र भी फैल हो जाता है,
विशेष विपत्ति काल में भारत सरकार भी माँ
निकुम्बाला देवी का अनुष्ठान करवाती है !
मनुष्य के जीवन में जब चारों तरफ अंधेरा छा
जाये, जीवन जब घोर संकट में हो आत्म हत्या करने का विचार आने लगे, परिवार वाले दुःखी
हो जाये, कर्जदार जीना दुश्वार करदे , कर्ज बढ़ जाये, चलता हुआ ऑफिस, कारखाना, व्यापार बंद हो जाये, किसी भी कार्य करने में सफलता नही मिल रही हो, शत्रु हावी हो
जायें, चारों तरफ शत्रु ही शत्रु नज़र आने लगे, जमीन बेचना चाहते है लेकिन बिक नही रही हो, तंत्र बाधा , भूत प्रेत शैतान
बाधा तंत्र संबंधित किसी भी प्रकार का बंधन हो , येसी कोई बीमारी जिसका इलाज़ कराते-कराते थक
गये हो या परिवार की हालात बहुत ख़राब हो तो इस साधना को करना चाहिए !
प्रत्यङ्गिरा साधना का उद्देश्य स्वयं की
रक्षा करना एवं शत्रु को परास्त करने हेतु किया जाता है ! यहाँ शत्रु कोई रोग, दोष, अनिष्ट ग्रह, भूत-प्रेत-पिशाच, किसी भी प्रकार का
अभिचार, कृत्या, काला जादू, या कोई व्यक्ति विशेष या कोई नभचर-जलचर-पृथ्वी चर भी हो सकता है |
माँ रावण की कुल देवी भी हैं वहाँ पर देवी
निकुम्बाला के नाम से विख्यात हैं, जो की भद्रकाली का ही एक विराट रूप हैं ! उत्तर भारत में लोग
बहुत कम हैं जो माता निकुम्बाला के बारे में जानते हैं, दक्षिण में माता
को बहुत पूजा जाता है वहां देवी के अनेको मंदिर हैं !
गुरु शुक्राचार्य जी के मार्ग दर्शन में रावण के पुत्र मेघनाथ ने निकुम्बाला ने देवी की आराधना साधना अनुष्ठान किया माँ की कृपा प्राप्त की !
माता की कृपया से ही मेघनाथ देवताओं के राजा इन्द्र को हारने में सक्षम हो पाया ओर उसे बंदी बना लिया, तब स्वयं ब्रह्म देव को आना पड़ा और उन्होने मेघनाथ को इंद्रजीत की उपाधि प्रदान की और तब जाकर मेघनाथ से इन्द्र को मुक्ति मिल पाई। इस प्रकार निकुम्बाला प्रत्यंगिरा देवी का यज्ञ समस्त प्रयासों में विजय प्राप्त करने के लिए किया जाता है !
इसी शक्ति के बल पर रावण के पुत्र मेघनाथ ने देवराज इंद्र पर विजय प्राप्त कर इंद्र को बंधक बनाकर लंका में ले आया था और इसी शक्ति के बल पर आकाश भैरव नृसिंह भगवान् का क्रोध शांत कर सके !
मेघनाथ ने इसको गुप्त विधि से सिद्ध किया था, माता निकुंभला की कृपा से ! माता निकुंभला माता दुर्गा का ही एक स्वरूप मानी जाती हैं इसी शक्ति का प्रयोग करके उसने श्री राम और लक्ष्मण पर नागपाश चलाया और उनको पराजित किया था ! जबकि श्री राम स्वयं नारायण का अवतार थे इसी शक्ति का प्रयोग करके मेघनाथ ने वीरघातिनी शक्ति चलाई थी लक्ष्मण पर ! जिसकी वजह से वह मूर्छित हो गए थे ! तब हनुमान जी को जाकर संजीवनी बूटी लानी पड़ी थी उनके प्राणों की रक्षा करने के लिए !
और आप जानते है की रावण स्वयं भी माता
के उपासक है । आप सभी को पता है रावण की सोने की लंका में कोई भी देवी या देवता प्रवेश
नहीं कर सकता था, क्युकी रावण ने अपनी लंका को कुछ विशेष शक्तियों से बांध रखा था ओर
वो शक्तियां माता की कृपया से रावण को मिली
थी ।
जब राम रावण युद्ध में श्री राम को पहले
ही इस बात का संदेशा हो गया था अगर माता निकुंबला जागृत हो गई तो उनकी योगनियां संपूर्ण वानर सेना को नष्ट कर देंगी ओर सभी वानरों
के रक्त का पान करेंगी, इसीलिए रामायण के
अनुसार युद्ध समय में जब मेघनाथ माँ निकुम्बाला का विजय प्राप्ति अनुष्ठान (यज्ञ)
कर रहा था , गुप्तचरों की सूचना के अनुसार तब हनुमान जी ने मेघनाथ का विजय अनुष्ठान
खंडित कर दिया था वर्ना, राम और वानर सेना मेघनाथ से कभी भी युद्ध में विजय प्राप्त नही
कर पाते ! तो अब आप समझ सकते हैं कि यह कितना शक्तिशाली और प्रचंड रूप है माता का जिसके
प्रभाव से स्वयं देवी देवता भी नहीं बच पाते !
यह शक्ति इतनी उग्र है की पल भर में अपने देव
शत्रु को नष्ट कर देती है ! देवी के अनेको
प्रयोग हैं जिनमे से महाविपरीत प्रत्यंगिरा प्रयोग सबसे घातक है जो की कभी भी असफल
नहीं होता !
प्रत्यङ्गिरा साधना का उद्देश्य स्वयं की
रक्षा करना एवं शत्रु को परास्त करने हेतु किया जाता है ! यहाँ शत्रु कोई रोग, दोष, अनिष्ट ग्रह, भूत-प्रेत-पिशाच, किसी भी प्रकार का
अभिचार, कृत्या, काला जादू, या कोई व्यक्ति विशेष या कोई नभचर-जलचर-पृथ्वी चर भी हो सकता है !
इस शक्ति का प्रयोग एक लाख बार सोच कर ही
करना चाहिए क्युकी कई बार हम सोचते कुछ और हैं, होता कुछ और है ! इसका प्रयोग अपने बचाव में
ही करना चाहिए या शत्रु द्वारा किये गए किसी महाभयंकर प्रयोग (चौकी, घायल, मूठ, गड़ंत या खाने-पीने
में किये गए अभिचार आदि) को नष्ट करने एवं शत्रु को दण्डित करने या किसी के द्वारा
किये गए तंत्र को वापस लौटने के लिए ही इसका प्रयोग करें !
इसकी साधना स्वयं का कष्ट निवारण आर्थिक
उन्नती के लिये ही करनी चाहिए , सत्कर्मी व्यक्ति पर कभी भी इस शक्ति का दुरूपयोग न करें
अन्यथा यह शक्ति साधक को उसके करे का दंड अवश्य देती है या फिर प्राण भी हर सकती
है ! इस शक्ति का प्रयोग किसी का बुरा करने में न करें हमेशा भलाई के लिए ही
प्रयोग करें !
यह शक्ति ब्रह्मास्त्र तक को भी पलटने में
सक्षम है इस शक्ति का प्रयोग शत्रु की सीमा और बल को आंकने के बाद ही करें,
अगर आप किसी भी मुसीबत कर्ज , बीमारी, तंत्र बाधा, शत्रु बाधा, अज्ञात पीड़ा से
परेशान है, उपचार करते - करते थक गये है , तो आप को माँ निकुम्बाला के शरण में जाना ही चाहिये !
हमने यह ये जानकारी आप सभी के ज्ञान को बड़ाने
के लिए और माता की महिमा के बारे में बताने की लिए प्रदान की है । इस पोस्ट के लिए
हमारे एक subscriber ने कमेन्ट किया
था।
माता की साधना
या उपासना बहिन गुरु के नहीं करनी चाहिए क्युकी माता की आराधना में एक छोटी से गलती
भी बारी पड़ सकती हैं।
Note - किसी भी कारण से अगर आप साधना नही कर पा रहे
है तो किसी भी योग्य सात्विक व्यवहार, आचरण वाले तांत्रिक गुरु या तंत्र का जानकार विद्धवान पण्डित
से अनुष्ठान अवश्य कराये, यादे रहे माँ के अनुष्ठान के लिए योग्य व्यक्ति का ही चैन करें
, प्रामाणिक
तोर पर किया गया माँ का अनुष्ठान कभी व्यर्थ नही जाता, तुरंत इसका परिणाम
देखने को मिलता है !
यह शक्ति सर्वकार्य करने में सिद्ध है !
👁 ध्यान देंः
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🌹🏵️ ।।जय मां भवानी।।
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