हनुमान जी की आराधना से नवग्रह दोष कैसे दूर करें?
हनुमान जी की पूजा दूर करती है ग्रहों का दुष्प्रभाव, नवग्रह को शांत और प्रसन्न करने का तरीका है हनुमान जी की पूजा आराधना।
हनुमान जी 11वें रुद्रावतार हैं, दसों दिशाओं में इनकी कीर्ति फैली हुई है। साथ ही, माता सीता ने हनुमान जी को अष्ट सिद्धि और नवनिधि का वरदान दिया हुआ है, जिसके चलते हनुमान जी के लिए इस संसार में कुछ भी असंभव नहीं है। हनुमान जी चिरंजीवी भी हैं और इसीलिए वे हमेशा इस धरती पर अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए मौजूद रहते हैं।
इसके अलावा, किसी भी प्रकार के ग्रह परिवर्तन हो या ग्रहों का दुष्प्रभाव हो, श्री बजरंगबली हर किसी पर असर डालने में सक्षम हैं। दरअसल, नौ ग्रहों में हनुमान जी को देवताओं के सेनापति मंगल ग्रह का कारक देवता माना गया है।
नवग्रह दोष को दूर करने में हनुमान जी की आराधना का महत्व:
नवग्रह दोष, जो व्यक्ति के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, हनुमान जी की आराधना से दूर किए जा सकते हैं। हनुमान जी संकटमोचन माने जाते हैं, और उनकी भक्ति से ग्रहों की अशुभता को कम किया जा सकता है।
हनुमान जी की आराधना से न केवल नवग्रह दोष दूर होते हैं, बल्कि जीवन में सकारात्मकता, स्वास्थ्य, और समृद्धि भी आती है। इससे मानसिक तनाव में कमी आती है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
प्रत्येक ग्रह पर हनुमान जी का प्रभाव:
मंगल ग्रह:
हनुमान जी एक शक्तिशाली देवता हैं, और माना जाता है कि उनका जन्म मंगलवार को हुआ था। वे स्वयं देवताओं के सेनापति मंगल ग्रह के कारक देवता हैं। इसलिए उनकी पूजा करने से मंगल ग्रह की पीड़ा से मुक्ति मिलती है और मंगल देव की कृपा प्राप्त होती है।
शनि ग्रह:
शनिदेव, जो सूर्य के पुत्र हैं, न्याय के देवता माने जाते हैं। जब शनिदेव की दशा चलती है, तो वे व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार दंड देते हैं। लेकिन अगर कोई व्यक्ति हनुमान जी की शरण में चला जाता है, तो शनिदेव का कोप काफी हद तक शांत हो जाता है। शनिदेव ने हनुमान जी को वचन दिया है कि वे उनके भक्तों का कुछ भी अहित नहीं करेंगे। इसलिए हनुमान जी की शरण में जाने से शनिदेव के कोप से राहत मिलती है।
सोमवार:
सोमवार के कारक देव भगवान शिव हैं, और हनुमान जी को भगवान शिव का ही अवतार माना जाता है। इसलिए सोमवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और ग्रह दोष शांत होते हैं।
बृहस्पति ग्रह:
बृहस्पति ग्रह के कारक देवता भगवान विष्णु माने जाते हैं, और हनुमान जी भगवान राम के परम भक्त हैं, जो विष्णु के अवतार माने जाते हैं। इसलिए हनुमान जी की आराधना करने से बृहस्पति ग्रह के दोष भी शांत हो जाते हैं।
सूर्य ग्रह:
कहा जाता है कि बाल्यकाल में हनुमान जी ने सूर्य देव को फल समझ कर निगल लिया था। इसके बाद इंद्र के वज्र चलाने पर सूर्य देव को मुक्ति मिली थी। सूर्य देव हनुमान जी के गुरु भी थे, और हनुमान जी ने सूर्य से ही शिक्षा प्राप्त की थी। इसलिए, हनुमान जी की पूजा करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और सूर्य से जुड़े दोष समाप्त होते हैं। साथ ही, सूर्य देव की कृपा से चंद्र, बुध और गुरु ग्रह भी शांत होते हैं, क्योंकि ये ग्रह सूर्य के मित्र माने जाते हैं।
शुक्र ग्रह:
शुक्र ग्रह की कारक देवी लक्ष्मी हैं, और लक्ष्मी माता ने रामायण काल में सीता का रूप धारण किया था। उन्होंने हनुमान जी को कई वरदान दिए थे। इसलिए हनुमान जी की पूजा करने से शुक्र ग्रह के दोष भी शांत होते हैं और शुक्र ग्रह से जुड़ी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
राहु और केतु:
राहु और केतु दोनों छाया ग्रह माने जाते हैं और इनका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में अत्यंत क्रूर हो सकता है। कहा जाता है कि हनुमान जी के भय से राहु भागकर इंद्रदेव की शरण में चला गया था। हनुमान जी की पूजा और भक्ति करने से राहु और केतु के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है, और ये ग्रह हनुमान भक्त को कष्ट नहीं पहुंचाते।
हनुमान जी की आराधना कैसे करें?
हनुमान जी की आराधना करते समय आपको कुछ सामान्य बातों का ध्यान रखना चाहिए:
पूजा स्थान की स्वच्छता: सबसे पहले अपने घर में पूजा स्थान को साफ रखें। हनुमान जी की एक तस्वीर या मूर्ति रखें और उनके सामने आसन बिछा लें।
धूप, दीप और प्रसाद: हनुमान जी की आराधना में धूप, दीप, फल, फूल और मिष्ठान अर्पित करें। इससे आपकी भावना को बल मिलता है और हनुमान जी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
हनुमान चालीसा का पाठ: हनुमान चालीसा का पाठ अत्यंत फलदायी होता है। इसे कम से कम पांच बार, सात बार या 11 बार करें। इससे आपकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और नवग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है।
श्रीराम का भजन: हनुमान जी भगवान राम के अनन्य भक्त हैं, इसलिए उनकी पूजा के बाद भगवान राम का भजन करें। इससे हनुमान जी अति प्रसन्न होते हैं और आपके जीवन से कष्टों का निवारण करते हैं।
विशेष ध्यान रखने योग्य बातें:
- चूंकि हनुमान जी भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हैं, इसलिए पूजा शुरू करने से पहले गणेश जी का ध्यान अवश्य करें। कम से कम 11 बार "ॐ गं गणपतये नमः" का जाप करें और फिर हनुमान जी की पूजा शुरू करें।
- यदि संभव हो, तो ब्रह्म मुहूर्त या गो-धूलि बेला में हनुमान जी की पूजा करें, इससे आपकी पूजा का फल जल्दी मिलता है।
- पूजा में आपके मन की भावना का बहुत महत्व होता है। जितनी अधिक आपकी भक्ति होगी, उतनी ही जल्दी आपको हनुमान जी की कृपा प्राप्त होगी।
हनुमान जी की आराधना से न केवल नवग्रह दोष दूर होते हैं, बल्कि आपके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। नवग्रह दोषों से मुक्ति पाने के लिए हनुमान जी की पूजा अत्यंत प्रभावी है और इससे आपके जीवन के सभी संकट समाप्त हो सकते हैं।
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