सौन्दर्य लहरी स्त्रोत्र (Shree Ram Priwar) 1-सौंदर्य लहरी (संस्कृत: सौन्दरयलहरी) जिसका अर्थ है “सौंदर्य की लहरें” ऋषि आदि शंकर द्वारा लिखित संस्कृत में एक प्रसिद्ध साहित्यिक कृति है। कुछ लोगों का मानना है कि पहला भाग “आनंद लहरी” मेरु पर्वत पर स्वयं गणेश (या पुष्पदंत द्वारा) द्वारा उकेरा गया था। शंकर के शिक्षक गोविंद भगवदपाद के शिक्षक ऋषि गौड़पाद ने पुष्पदंत के लेखन को याद किया जिसे आदि शंकराचार्य तक ले जाया गया था। इसके एक सौ तीन श्लोक (छंद) शिव की पत्नी देवी पार्वती / दक्षिणायनी की सुंदरता, कृपा और उदारता की प्रशंसा करते हैं।सौन्दर्यलहरी/शाब्दिक अर्थ सौन्दर्य का सागर आदि शंकराचार्य तथा पुष्पदन्त द्वारा संस्कृत में रचित महान साहित्यिक कृति है।इसमें माँ पार्वती के सौन्दर्य, कृपा का १०३ श्लोकों में वर्णन है।भगवत्पाद शंकराचार्य की सौन्दर्यलहरी प्रथम तान्त्रिक रचना है जिसमें सौ श्लोकों के माध्यम से आचार्य शंकर ने भगवती पराशक्ति पराम्बा त्रिपुरसुन्दरी की कादि एवं हादि साधानाओं के गोप्य रहस्यों का उद्यघाटन किया है और पराशक्ति भगवती के अध्यात्मोन्मुख अप्रतिम सौन्दर्य का वर्णन किया है।ये त्रिप...
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