सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Kanakadhara strotra pdf download

धन पाने का अचूक तरीका  कनकधार स्त्रोत्र (Shree Ram Pariwar  )

हम सभी जीवन में ‍आर्थिक तंगी को लेकर बेहद परेशान रहते हैं। धन प्राप्ति के लिए हरसंभव श्रेष्ठ उपाय करना चाहते हैं। धन प्राप्ति और धन संचय के लिए पुराणों में वर्णित कनकधारा यंत्र एवं स्तोत्र चमत्कारिक रूप से लाभ प्रदान करते हैं। इस यंत्र की विशेषता भी यही है कि यह किसी भी प्रकार की विशेष माला, जाप, पूजन, विधि-विधान की मांग नहीं करता बल्कि सिर्फ दिन में एक बार इसको पढ़ना पर्याप्त है।
साथ ही प्रतिदिन इसके सामने दीपक और अगरबत्ती लगाना आवश्यक है। अगर किसी दिन यह भी भूल जाएं तो बाधा नहीं आती क्योंकि यह सिद्ध मंत्र होने के कारण चैतन्य माना जाता है। यहां प्रस्तुत है कनकधारा स्तोत्र का संस्कृत पाठ एवं हिन्दी अनुवाद। आपको सिर्फ कनकधारा यंत्र कहीं से लाकर पूजा घर में रखना है। वैसे इसका जप करने की सही विधि हमने प्रदान कर रखी है। कनकधारा स्तोत्र की महिमा और पाठ करने की विधि
 
यह किसी भी तंत्र-मंत्र संबंधी सामग्री की दुकान पर आसानी से उपलब्ध है। मां लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए जितने भी यंत्र हैं, उनमें कनकधारा यंत्र तथा स्तोत्र सबसे ज्यादा प्रभावशाली एवं अतिशीघ्र फलदायी है। हम सभी जीवन में ‍आर्थिक तंगी को लेकर बेहद परेशान रहते हैं। धन प्राप्ति के लिए हरसंभव श्रेष्ठ उपाय करना चाहते हैं।

यह भजन एक श्रद्धेय हिंदू दार्शनिक आदि शंकराचार्य द्वारा लिखा गया था।

परंपरा के अनुसार, एक युवा लड़के के रूप में, आदि शंकराचार्य अपना दोपहर का भोजन तैयार करने के लिए भिक्षा मांग रहे थे और एक बहुत गरीब ब्राह्मण महिला के दरवाजे पर पहुंचे । अपने घर में खाने योग्य कुछ भी न होने पर, महिला ने व्याकुलता से अपने घर की तलाशी ली, केवल एक आंवले का फल मिला, जिसे उसने झिझकते हुए शंकर को अर्पित कर दिया। शंकर इस महिला की अविश्वसनीय निस्वार्थता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने कविता शुरू कर दी और देवी लक्ष्मी की प्रशंसा में 22 श्लोक गाए। भजन की सुंदरता से प्रसन्न होकर, देवी ने तुरंत महिला के घर पर शुद्ध सोने से बने आंवलों की वर्षा कर दी। [3]

कनकधारा स्तोत्र का पहला स्तोत्र इस प्रकार है: [4]

अंगंग हरेः पुलक-भूषणं आश्रयंति
भृंगांगनेव मुकुलाभरणं तमालम् |
अंगीकृतखिला विभूतिर-अपांगलीला
मा-गल्यदस्तु मम मंगला-देवतायः

-  कनकधारा स्तोत्र , श्लोक 1
जिस प्रकार मधुमक्खियाँ प्रचुर मात्रा में खिले हुए (कलियों वाले) तमाल वृक्ष में आश्रय लेती हैं, उसी प्रकार श्री हरि के शरीर में निवास करने वाले (जो परम सुख को आभूषण के रूप में धारण करते हैं), जो सभी अलौकिक शक्तियों का निवास स्थान हैं, और जो सर्वस्व हैं, उनकी दृष्टि हो शुभ हो, मेरे लिए शुभ हो.

हमने आपको कनकधारा स्तोत्र की pdf भी प्रदान कर दी है।



सूचना: हमें उम्मीद है, कि आपको श्री राम परिवार की यह पोस्ट पसंद आई होगी। आप इस पोस्ट को आगे share करके हमे सहयोग जरूर प्रदान करे। आपका बहुत आभार ।। 
👁 ध्यान देंः

आप हमसे हमारे फेसबुक ग्रुप और टेलीग्राम ग्रुप में जुड़ सकते हैं। और हमारे ब्लॉग से जुड़ कर भी हमें सहयोग प्रदान कर सकते हो।

फेसबुक ग्रुप - https://www.facebook.com/groups/715119132723959

टेलीग्राम ग्रप - https://t.me/shreerampriwar

हमरा चैनल - https://www.youtube.com/c/ShreeRamPriwar

अगर आपको हमारा कार्य अच्छा लग रहा है तो हमें सहयोग प्रदान करें और जो भी वीडियो देखे उसे कृपा करके पूरा देखें।

पुस्तक - Download

अगर अभी तक आपने हमारे चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया तो कृपया करके सब्सक्राइब करें।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
🌹🏵️ ।।जय मां भवानी।।



#शाबर_मंत्र_सागर #मंत्र_पुस्तक #मंत्र #साधना_पुस्तके #साधना_विधि #मंत्र_साधना #Shree_Ram_Privar #ShreeRamPrivar #shreeramprivar
#जय_श्री_राम

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शिव स्वरोदय पुस्तक PDF बिल्कुल फ्री

नमस्कार मित्रों इस पोस्ट में हम आप सभी को शिव स्वरोदय नामक पुस्तक उपलब्ध करवा रहे हैं। यह पुस्तक माता पार्वती और भगवान शिव के संवाद के रूप में आपको देखने को मिलेगी।इसके अंदर भगवान शिव ने माता पार्वती को स्वरोदय के बारे में बताया है उसके महत्व के बारे में भगवान ने बताया है। शिव स्वरोदय पुस्तक में आपको स्वर से संबंधित बहुत जानकारी देखने को मिलेगी स्वर से संबंधित सारी जानकारी हमने आपको एक अन्य पोस्ट में उपलब्ध करवा रखी।  Also Read शिव स्वरोदय क्या हैं। शिव स्वरोदय पुस्तक में आपको स्वर से संबंधित सभी प्रकार की चीजें, सभी प्रकार के रोगों का निदान और बहुत से तांत्रिक प्रयोग भी देखने को मिलेंगे बहुत से ऐसे प्रयोग देखने को मिलेंगे जिनको आप स्वरोदय के माध्यम से दूर कर सकते हैं। स्वरोदय पुस्तक बहुत ही बड़ा आधुनिक विज्ञान है जो कि आपको आज हम इस पोस्ट में उपलब्ध करवा रहे है। 🙏‍ देखिए इस तरीके के बहुत से ग्रंथ हैं जो कि आज के आधुनिक विज्ञान से भी बहुत ज्यादा आधुनिक है उन ग्रंथों में आपको ऐसे ऐसी जानकारी देखने को मिलेगी जो कि आज के वैज्ञ...

सचित्र आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की पुस्तक || ayurvedic Jadi buti book pdf

आयुर्वेद शब्द का अर्थ क्या है? आयुर्वेद ( = आयुः + वेद ; शाब्दिक अर्थ : 'आयु का वेद' या 'दीर्घायु का विज्ञान' एक मुख्य और सबसे श्रेष्ठ चिकित्सा प्रणाली है जिसकी जड़ें भारतीय उपमहाद्वीप में हैं। भारत, नेपाल और श्रीलंका में आयुर्वेद का अत्यधिक प्रचलन है, जहाँ लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या इसका उपयोग करती है। आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है। आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है। आयुर्वेद के अंग धन्वन्तरि आयुर्वेद के देवता हैं। वे विष्णु के अवतार माने जाते हैं। हिताहितं सुखं दुःखमायुस्तस्य हिताहितम्। मानं च तच्च यत्रोक्तमायुर्वेदः स उच्यते॥  आयुर्वेद के ग्रन्थ तीन शारीरिक दोषों (त्रिदोष = वात, पित्त, कफ) के असंतुलन को रोग का कारण मानते हैं और समदोष की स्थिति को आरोग्य।  आयुर्वेद को त्रिस्कन्ध (तीन कन्धों वाला) अथवा त्रिसूत्र भी कहा जाता है, ये तीन स्कन्ध अथवा त्रिसूत्र हैं - हेतु , लिंग , औषध।  इसी प्रकार स...

शाबर मंत्र सागर भाग-२ पुस्तक PDF Download

    दो शब्द बनुश्रुति हैं कि कलिकाल के पारम्भ में भूतभावन भगवान शंकर ने प्राचीन ' मंत्र, तंत्र, शास्त्र के सभी मंत्रों तथा तंत्रो को रस दृष्टि से कील दिया कि कलियुग के अविचारी मनुष्य उनका दुरुपयोग न करने लगें ।  महामंत्र गायत्री भी विभिन्न ऋषियों द्वारा शाप ग्रस्त हुआ तथा उसके लिए भी उत्कीलन की विधि स्वीकृत की गयी। अन्य मंत्रों तथा तंत्रो के लिए भी उत्कीलन की विधियाँ निर्धारित की गई हैं । जब तक उन विधियों का प्रयोग नहीं किया जाता, तब तक कोई भी मंत्र प्रभावकारी नहीं होता । शास्त्रीय-मन्त्रों की उप्कीलन विधियों का वर्णन मन्त्र शास्त्रीय ग्रन्थों में पाया जाता हैं उनका ज्ञान संस्कृत भाषा के जानकार हो प्राप्त कर पातेते हैं।  शास्त्रीय-मन्त्रों के कीलित हो जाने पर लोक-हिर्तयी सिद्ध-पुरुषों ने जन-कल्याणा्थ समय-समय पर लोक-भाषा के मंत्रों की रचना की । इन मन्त्रों को ही "शाबर मंत्र" कहा जाता हैं । "शाबर मंत्र तंत्र लोक भाषाओं में पाये जाते हैं और उनकी साधन तथा प्रयोग विधि भी अपेक्षाकृत अधिक सरल होती हैं, साथ ही प्रभाव में भी प्राचीन शास्त्रीय मन्त्रों से स्पर्धा...