पराशर संहिता पुस्तक |Parasara Samhita pdf



नमस्कार मित्रों,
इस पोस्ट में हम आपको महान ऋषि पराशर के द्वारा लिखित पराशर संहिता उपलब्ध करवा रहे हैं। इसके बारे में सारी जानकारी नीचे प्रदान की गई है आप कृपया ध्यान से पढ़िएगा।

श्री हनुमान जी धर्म्प्राण भारतवर्ष के आबाल वृध्द देवता हैं | हम सभी इनको स्वामिभक्ति के प्रतीक के रूप में जानते है | हम इनके विषय में जो भी जानते है उसका स्तोत्र है रामायण | यह महाकाव्य़ आदिकवि वाल्मीक के व्दारा रचा गया है | और इसी रामायण को आधार बनाकर बाद के समय में अनेक भाषाओं में इसका रुपान्तरण किया गया है | इस महाकाव्य में रघुकुल के राजा एवं दशरथ के पुत्र श्रीराम का जीवनवृत्त का वर्णन दिया हुआ है |

किन्त भारतवर्ष में अधिकतर लोगों को इस रामभक्त हनुमान के अन्य आयामों के विषय में जानकारी ही नहीं है | भगवान हनुमान के जीवन के आयाम अनन्त है | वे त्रेता में श्रीराम के साथ थे | व्दापर में भी थे | और इस कलि में भी है | और आगे भी रहेंगे | और आने वाले कल्प में वही ब्रह्मा अर्थात सृष्टिकर्ता होंगे | इस तरह अनन्त आयामों से युक्त हनुमान जी के अनेक आयामों का वर्णन महर्षि पराशर की ‘पराशसंहिता’ में उपलब्ध है|

पराशसंहिता महर्षि पराशर के व्दारा लिखी गयी है | यह पराशर एवं मैत्रेय का संवादरूप है | यह ग्रन्थ किसी समय में दक्षिणभारत में प्रचलन में था | किन्तु कालवश यह लुप्त हो गया है और कुछ लोगों के घर तक सीमित हो गया | इसी कारण से पुस्तक उपलब्ध करवाई जा रही है जिससे की लुप्त होते हुए हमारी संस्कृति को बचा जा सके।

इस ग्रन्थ में क्या विशेष है?

इस ग्रन्थ में भगवान हनुमान के जीवन के अतिरिक्त हनुमान से सम्बन्धित मन्त्रशास्त्र का अदभुत श्री पराशर संहिता विचार प्रस्तुत है | इस कलियुग में मानव जीवन को कष्टों से राहत के सन्दर्भ में महर्षि मैत्रेय के व्दारा पूछे जाने पर महर्षि पराशर हनुमान के महत्व का वर्णन करते है और यही विषय का मुख्य आधार है | सप्तपुटीय हनुमत् मन्त्रात्मकविध्या की उपासनाविधी और हनुमव्दिध्या का महत्व मुख्य रूप से वर्णित किया गया है | भगवान हनुमान को सपने में देखने की विधी, हनुमत्व्रत का महत्व, सूर्यप्रकाश का सुवर्चला में प्रवेश, हनुमध्यन्त्र, हनुमतभक्ति का प्रभाव और हनुमान की भक्तसुलभता, तेरह हनुमत पीठों का इतिहास, गन्धमादन पर्वत पर हनुमान का वास (ठहरना), ऊट के ऊपर भगवान का संचार, भगवान के व्दारा अपने भक्तों को सुरक्षा प्रदान करने की या गलत करने वालों को दण्डित करने की विधी, शत्रुओं का संहार करके मनोकामनाओं को पूरा करने वाले हनुमत माला यन्त्र के बारे में वर्णित है |

हनुमगुपासना के लिये उपयुक्त समय, स्थान, भंगिमा, फूल फल पत्रों का वर्णन, हनुमान का शालिग्राम, श्री पराशर संहिता कालरा और प्लेग जैसे महामारी को रोकने में भगवान की शक्ती के बारे में भी विस्तृत वर्णन उपलब्ध है | एक पटल में विशेषरूप से संगीत और उसमें भी भगवान के व्दारा निर्मित ‘गुण्डक्रिया’ राग का वर्णन है | इस प्रकार इस ग्रन्थ में भगवान की सम्पूर्ण जीवनी और सभी यन्त्र मन्त्र तन्त्र का पूर्ण विवरण प्राप्त है | इस ग्रन्थ में आंजनेय के तिरुमला के निकट अंजनाद्रि में जन्म होने का आधार दिया हुआ है | मुख्यरूप से यह ग्रन्थ हनुमान के जन्मस्थान जन्मदिन आदि विषयों में प्रचलित आशंकाओं का समाधान करता है |

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