माँ विन्ध्येश्वरी साधना सरल विधान . (Shree Ram Pariwar)

नमस्कार मित्रों
हमारे एक सदस्य ने हमसे माँ विन्ध्येश्वरी साधना मांगी थी। उनके घर में बहुत ज्यादा समस्या आ रही थी। उनके ऊपर तंत्र बाधा हो रही हैं इसलिए वो माता रानी की साधना करना चाहते है जिससे उने माता का आशीर्वाद मिलं सके।
विन्ध्येश्वरी देवी, जिन्हें विन्ध्यवासिनी भी कहा जाता है, सनातन धर्म में मां दुर्गा के प्रमुख रूपों में से एक हैं। विन्ध्य पर्वत पर स्थित इनका मंदिर भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में गिना जाता है। यह पूजा न केवल भक्तों को मानसिक शांति प्रदान करती है, बल्कि उनकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी करती है। माँ विन्ध्येश्वरी साधना एवं मंत्र तुरंत सफलता के लिए माँ विंध्यवासिनी की पूजा करना चाहिए। शास्त्रों में माँ विंध्यवासिनी की रहस्यमयी तांत्रिक साधना वर्णित है। यह साधना अत्यंत गोपनीय है। इसके माध्यम से किसी भी कार्य में तुरंत सफलता प्राप्त होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो तुरंत सफलता प्राप्ति के लिए विंध्यवासिनी साधना उपयोगी होती है।
इस साधना को करने के बाद आपकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाएगी और जीवन के है क्षेत्र में आपको सफलता प्राप्त होगी। अगर आपके शत्रु परेशान कर रहे है तो वो भी शांत हो जाएंगे तथा अगर आपके ऊपर अगर कोई तंत्र क्रिया हुई है या कोई भूत प्रेत का चक्कर है वो सब भी दूर हो जाएंगे।
विन्ध्येश्वरी पूजा: महत्त्व, विधि और लाभ
विन्ध्येश्वरी पूजा का महत्त्व:
शक्ति का प्रतीक: विन्ध्येश्वरी देवी शक्ति और साहस की देवी हैं। उनकी पूजा से भक्तों को जीवन में आत्मबल और निडरता प्राप्त होती है।
मनोकामनाओं की पूर्ति: यह मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से विन्ध्येश्वरी माता की पूजा करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा: मां विन्ध्येश्वरी की पूजा नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं को दूर करती है।
विन्ध्येश्वरी पूजा विधि:
सामग्री की तैयारी:
मां की मूर्ति या चित्र
लाल वस्त्र
पुष्प (विशेषकर लाल फूल)
अक्षत (चावल)
कुमकुम और हल्दी
दीपक और धूप
प्रसाद (मिठाई, फल या नारियल)
पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण)
पूजा स्थान की स्वच्छता: पूजा से पहले स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और इसे सजाएं।
मंत्र जाप:
आरती: मां की आरती करें और दीप जलाएं।
प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद सभी भक्तों में बांटें।
विन्ध्येश्वरी पूजा के लाभ:
धन-धान्य में वृद्धि: मां विन्ध्येश्वरी की कृपा से घर में सुख-समृद्धि और धन की वृद्धि होती है।
स्वास्थ्य लाभ: यह पूजा स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को दूर करने में सहायक होती है।
विवाह में बाधा: जिन लोगों के विवाह में देरी हो रही है, उनके लिए यह पूजा अत्यधिक फलदायी मानी जाती है।
कर्ज से मुक्ति: मां की आराधना से आर्थिक समस्याएं हल होती हैं और कर्ज से छुटकारा मिलता है।
विशेष दिन:
विन्ध्येश्वरी माता की पूजा के लिए शुक्रवार और नवरात्रि के दिन सबसे उत्तम माने जाते हैं। इन दिनों मां की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
मां विन्ध्येश्वरी की पूजा एक साधारण प्रक्रिया है, लेकिन इसमें श्रद्धा और समर्पण का होना अत्यंत आवश्यक है। यदि सच्चे मन और निष्ठा से मां की आराधना की जाए, तो भक्तों को निश्चित ही माता की कृपा प्राप्त होती है। मां विन्ध्येश्वरी की पूजा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
साधना की विधि पूरे विस्तार से बताई है इसलिए आप इसे पूरे विस्तार पढ़िएगा।
विनियोग
ॐ अस्य विंध्यवासिनी मन्त्रस्य
विश्रवा ऋषि अनुष्टुपछंद: विंध्यवासिनी
देवता मम अभिष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोग:।
न्यास
ॐ विश्रवा ऋषये नम: शिरसि
अनुष्टुप छंदसे नम: मुखे ।।2।।
विंध्यवासिनी देवतायै नम: हृदि ।।3।।
विनियोगाय नम: सर्वांगे ।।4।।
करन्यास
एहं हिं अंगुष्ठाभ्यां नम:।।1।।
यक्षि-यक्षि तर्जनीभ्यां नम:।।2।।
महायक्षि मध्यमाभ्यां नम: ।।3।।
वटवृक्षनिवासिनी अनामिकाभ्यां नम:।।4।।
शीघ्रं मे सर्वसौख्यं कनिष्ठिकाभ्यां नम:।।5।।
कुरू-कुरू स्वाहा करतलकर पृष्ठाभ्यां नम:।।6।।
ध्यान
अरूणचंदन वस्त्र विभूषितम।
सजलतोयदतुल्यन रूरूहाम्।।
स्मरकुरंगदृशं विंध्यवासिनी।
क्रमुकनागलता दल पुष्कराम्।।
प्रयोग विधि
इस महत्वपूर्ण एवं अत्यंत गोपनीय साधना को भाग्यशाली
साधक ही कर पाता है। अमावस्या की रात को स्नान कर
स्वच्छ वस्त्र धारण कर सामने विंध्यवासिनी साधना मंत्र
प्रतिष्ठापित करे।
तत्पश्चात सोने के बेहद बारीक तार से विंध्येश्वरी यंत्र को लपेटें या एक पीले दागे से यंत्र को लपेटे
और फिर सफलता के लिए प्रार्थना करें। जिस कार्य में तुरंत सफलता चाहिए उसका स्मरण करें। जैसे उस कार्य के आरंभ से लेकर अब तक क्या-क्या उतार- चढ़ाव आए। कितनी बाधाएँ आईं और सफलता के संबंध में आपकी शंकाएँ क्या-क्या हैं। वो सब का स्मरण करें । पूजन के बाद स्फटिक की माला से मंत्र का जाप करें। 11 दिन तक रोज 51 माला मंत्र जप विंध्यवासिनी यंत्र के सामने आवश्यक है।
मंत्र
"एह्ये हि यक्षि महायक्षि विंध्यवासिनी
शीघ्रं मे सर्व तंत्र सिद्धि कुरू-कुरू स्वाहा।।"
यह साधना 11 दिनों तक नियमित रूप से की जानी चाहिए। सौभाग्यशाली साधकों के मार्ग में साधना के दौरान कोई बाधा नहीं आती। इस साधना के सफल होने के बाद अन्य कोई साधना निष्फल नहीं होती। साथ ही तुरंत सफलता प्राप्ति हेतु यह साधना अत्यंत उपयोगी है।
श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा
नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब ।
सन्तजनों के काज में करती नहीं विलम्ब ।।
जय जय जय विन्ध्याचल रानी । आदि शक्ति जग विदित भवानी ।।
सिंहवाहिनी जय जग माता । जय जय जय त्रिभुवन सुखदाता ।।
कष्ट निवारिणि जय जग देवी । जय जय जय असुरासुर सेवी ।।
महिमा अमित अपार तुम्हारी । शेष सहस मुख वर्णत हारी । ।
दीनन के दुख हरत भवानी । नहिं देख्यो तुम सम कोई दानी ।।
सब कर मनसा पुरवत माता । महिमा अमित जगत विख्याता ।।
जो जन ध्यान तुम्हारो लावे । सो तुरतहि वांछित फल पावे ।।
तु ही वैष्णवी तुही रुद्राणी । तुही शारदा अरु ब्रहमाणी ।।
रमा राधिका श्यामा काली । तुही मात सन्तन प्रतिपाली ।।
उमा माधवी चण्डी ज्वाला । वेगि मोहि पर होहु दयाला ।।
तुही हिंगलाज महारानी । तुही शीतला अरु विज्ञानी ।।
दुर्गा दुर्ग विनाशिनि माता । तुही लक्ष्मी जग सुखदाता ।।
तुही जान्हवी अरु इन्द्राणी । हेमावती अम्ब निर्वाणी ।।
अष्टभुजी वाराहिनि देवी । करत विष्णु शिव जाकर सेवी ।।
पाटन मुम्बा दन्त कुमारी । भद्रकाली सुन विनय हमारी ।।
वज्रधारिणी शोक विनाशिनी । आयु रक्षिणी विन्ध्यनिवासिनी ।।
जया और विजया बैताली । मातु सुगन्धा अरु विकराली ।।
नाम अनन्त तुम्हार भवानी । बरनै किमि मानुष अज्ञानी ।।
जा पर कृपा मातु तव होई । तो वह करै चहै मन जोई ।।
कृपा करहु मो पर महारानी । सिद्घ करहु अम्बे मम बानी ।।
जो नर धरै मातु कर ध्याना । ताकर सदा होय कल्याना ।।
विपति ताहि सपनेहु नहिं आवै । जो देवी का जाप करावै ।।
जो नर कहं ऋण होय अपारा । सो नर पाठ करै शत बारा ।।
निश्चय ऋण मोचन होई जाई । जो नर पाठ करै मन लाई ।।
अस्तुति जो नर पढ़े पढ़ावै । या जग में सो अति सुख पावै ।।
जाको व्याधि सतावै भाई । जाप करत सब दूरि पराई ।।
जो नर अति बन्दी महं होई । बार हजार पाठ कर सोई ।।
निश्चय बन्दी ते छुटि जाई । सत्य वचन मम मानहु भाई ।।
जा पर जो कछु संकट होई । निश्चय देविहिं सुमिरै सोई ।।
जो नर पुत्र होय नहि भाई । सो नर या विधि करे उपाई ।।
पाँच वर्ष सो पाठ करावै । नौरातर में विप्र जिमावै ।।
निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी । पुत्र देहि ता कहं गुणखानी ।।
ध्वजा नारियल आनि चढ़ावै । विधि समेत पूजन करवावै ।।
नितप्रति पाठ करै मन लाई । प्रेम सहित नहिं आन उपाई ।।
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा । रंक पढ़त होवे अवनीसा ।।
यह जनि अचरज मानहुं भाई । कृपा दृष्टि ता पर होइ जाई ।।
जय जय जय जगमातु भवानी । कृपा करहुं मोहि निज जन जानी ।।
श्री विंध्यवासिनी माता स्तोत्रम्
ध्यानः नंद गोप गृहे जाता यशोदा गर्भसम्भवा|
ततस्तो नाश यष्यामि विंध्याचल निवासिनी ||
निशुम्भशुम्भमर्दिनी, प्रचंडमुंडखंडनीम |
वने रणे प्रकाशिनीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||१||
त्रिशुलमुंडधारिणीं, धराविघातहारणीम |
गृहे गृहे निवासिनीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||२||
दरिद्रदु:खहारिणीं, संता विभूतिकारिणीम |
वियोगशोकहारणीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||३||
लसत्सुलोललोचनां, लता सदे वरप्रदाम |
कपालशूलधारिणीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||४||
करे मुदागदाधरीं, शिवा शिवप्रदायिनीम |
वरां वराननां शुभां, भजामि विंध्यवासिनीम ||५||
ऋषीन्द्रजामिनींप्रदा,त्रिधास्वरुपधारिणींम |
जले थले निवासिणीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||६||
विशिष्टसृष्टिकारिणीं, विशालरुपधारिणीम |
महोदरे विलासिनीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||७||
पुरंदरादिसेवितां, मुरादिवंशखण्डनीम |
विशुद्ध बुद्धिकारिणीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||८||
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आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
🌹🏵️ ।।जय मां भवानी।।
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