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पतंजलि योग दर्शन पुस्तक PDF बिल्कुल फ्री || Patanjali yog Darshan book pdf

पतंजलि प्राचीन भारत के एक मुनि और नागों के राजा शेषनाग के अवतार थे जिन्हे संस्कृत के अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्थों का रचयिता माना जाता है। इनमें से योगसूत्र उनकी महानतम रचना है जो योगदर्शन का मूलग्रन्थ है। भारतीय साहित्य में पतंजलि द्वारा रचित ३ मुख्य ग्रन्थ मिलते हैं। योगसूत्र, अष्टाध्यायी पर भाष्य और आयुर्वेद पर ग्रन्थ। पतंजलि महान चिकित्सक थे और इन्हें ही 'चरक संहिता' का प्रणेता माना जाता है। 'योगसूत्र' पतंजलि का महान अवदान है। पतंजलि रसायन विद्या के विशिष्ट आचार्य थे अभ्रक विंदास, अनेक धातुयोग और लौहशास्त्र इनकी देन है। पतंजलि संभवत पुष्यमित्र शुंग (१९५-१४२ ई.पू.) के शासनकाल में थे। राजा भोज ने इन्हें तन के साथ मन का भी चिकित्सक कहा है। योगसूत्र, योग दर्शन का मूल ग्रंथ है। यह छः दर्शनों में से एक शास्त्र है और योगशास्त्र का एक ग्रंथ है। योगसूत्रों की रचना ३००० साल के पहले पतंजलि ने की। इसके लिए पहले से इस विषय में विद्यमान सामग्री का भी इसमें उपयोग किया। योगसूत्र में चित्त को एकाग्र करके ईश्वर में लीन करने का विधान है। पतंजलि के अनुसार चित्त की वृत्तियों को चंचल होने से ...

महापुराण महाभारत की PDF पुस्तक || Mahabharat PDF download

महाभारत आर्य संस्कृति तथा भारतीय सनातन धर्म का एक अत्यन्त आदरणीय और महान् प्रमुख ग्रन्थ है । यह अनन्त अमूल्य रत्नोंका अपार भण्डार है भगवान् वेदव्यास स्वयं कहते हैं कि 'इस महाभारत में मैंने वेदोंके रहस्य और विस्तार, उपनिषदों के सम्पूर्ण सार, इतिहास-पुराणों के उन्मेष और निमेष, चातुर्वर्ण्य- के विधान, पुराणों के आशय ग्रह-नक्षत्र तारा आदिके परिमाण, न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, दान, पाशुपत ( अन्तर्यामीकी महिमा ), तीर्थों, पुण्य देशों, नदियों, पर्वतों, वनों तथा समुद्रोंका भी वर्णन किया है ।' अतएव महाभारत महाकाव्य है, गुढ़ार्थमय ज्ञान-विज्ञान - शास्त्र हैं, धर्मग्रन्थ है। राजनीतिक दर्शन है, निष्काम कर्मयोग-दर्शन है, भक्ति-शास्त्र है, अध्यात्म-शास्त्र है, आर्यजातिका इतिहास है और सर्वार्थसाधक तथा सर्वशास्त्रसंग्रह है।  सबसे अधिक महत्त्वकी बात तो यह है कि इसमें एक, अद्वितीय, सर्वज्ञ, सर्वशक्ति- मान् सर्वलोकमहेश्वर, परमयोगेश्वर, अचिन्त्यानन्त गुणगणसम्पन्नः सृष्टि-स्थिति प्रलयकारी विचित्र लीलाविहारी, भक्त-भक्तिमान्, भक्त-सर्वख, निखिलरसामृतसिन्धु अनन्तप्रेमाधार, प्रेमघनविग्रह, सच्चिदानन्दघन, व...