श्री हनुमान-अंक || Hanuman Anka PDF download



प्राचीन भारतके ऋषि महर्षि अत्यन्त उच्चकोटिके ज्ञानी, भक्त और परोपकारी संत थे। उन्होंने लोक-कल्याणके लिये अपने भगवदीय ज्ञान का मुक्त हृदय से प्रचार-प्रसार किया। जगदात्मा भगवान् एक ही हैं, फिर भी शिव, विष्णु, शक्ति, सूर्य, गणेश, स्कंद तथा विष्णुके राम, कृष्ण, वामन, नृसिंह, मत्स्य, कूर्म आदि अवतारोंके नामपर उन्होंने पुराणों तथा उपासना प्रन्थोंकी रचना कर विभिन्न रुचिके प्राणियोंको उस एक ही परमात्माकी प्राप्तिकी ओर प्रेरित किया।


 हनुमान जी पर वेद, पुराण, रामायण, महाभारत और तुलसी साहित्य में प्रचुर सामग्री प्राप्त होती है। तन्त्र- साहित्य में उनकी उपासना के चमत्कारिक प्रभाव निर्दिष्ट हुए हैं और हनुमत् उपासना, कल्पद्रुम आदि कई स्वतन्त्र ग्रन्थ भी हैं। मन्त्रमहोदधि, मन्त्रमहार्णव आदिमें उनकी अनेक उपासना-विधियाँ हैं। इन सबोंके आधारपर विद्वानोंने बहुत अच्छे लेख लिखे। वेदाचार्य गंगेश्वरानन्दजी महाराजने कुछ वैदिक मन्त्रोंका हनुमान्परक इतना सुन्दर अर्थ दिखलाया, जिसे पढ़कर यही लगा कि वास्तव मे उसके पद, अक्षर सब रामायण के उन्हीं अर्थों को व्यक्त करते हैं जो हनुमान्परक हैं। इसीलिये प्राचीन विद्वान् नीलकंठ चातुरध्वरीकने अपने मन्त्र-रामायणमें मन्त्रोंके उद्धरणके साथ और गोस्वामी तुलसीदासजीने मानसमें बार-बार 'वेद विदित तेहि दसरथ नाऊ', 'तहाँ बेद अस कारन राखा' और 'चहुँ जुग चहुँ श्रुति नाम प्रभाऊ' आदिमें वेदोंमें रामचरित, हनुमच्चरित्रकी स्थिति मानी है।

इस प्रकार यह अङ्क अत्यन्त उपयोगी बन गया और फिर वाल्मीकि, अध्यात्म आदि सभी रामायणों, पुराणों आदिसे संग्रहकर स्वतन्त्र हनुमधरित्रकी विस्तृत क्रमबद्ध रचना कर हनुमान्जीके जन्मसे लेकर अबतक उनके अमर रहकर किये गये क्रिया-कलापोंका भी परिचय दिया गया है। जैसे द्वापरमें वे भीमसेनको मिले, अर्जुनके रथपर रहे और कलियुगमें गोस्वामीजीपर प्रसन्न रहकर उन्हें रामका दर्शन कराया और विविध भक्तोंकी मनोकामना पूर्ण की। इसी कारण देश-विदेशमें उनके अनेक मन्दिर और प्रतिमाएँ स्थापित की गयीं। जिनकी उपासनासे अनेक प्रकारके लोकोपकार तत्काल होते हैं। जिनमें अयोध्याकी हनुमानगढ़ी, काशीके संकटमोचन, राजस्थानके सालासर तथा अन्य भी ऐसे ही अनेक दिव्य अर्चावतारोंका उल्लेख हुआ है, जहाँ उनकी उपासनासे तत्काल चमत्कार प्रकट होते हैं और सभी क्लेश दूर हो जाते हैं।

साथ ही इस अङ्कमें हनुमानजीको तत्काल प्रसन्न करनेवाले विविध स्तोत्र, यन्त्र, मन्त्र और ध्यान पद्धतियों आदिका समावेश किया गया है। इसमें उनकी षडङ्ग, दशाङ्ग-उपासनाकी विधियाँ भी निर्दिष्ट हुई हैं, जिनसे वे अतिशीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तोंकी कामना पूर्ण कर देते हैं। इन सबके अतिरिक्त उनके भव्य चित्र और ऐसी घटनाओंका भी समावेश किया गया, जहाँ उनके ध्यान स्मरण करते ही विपत्ति आदि दूर होने तथा उनके दर्शन आदि होनेकी बात भी सम्मिलित थी। 

अतः पाठकोंसे निवेदन है कि वे यथासम्भव इसका संग्रह कर साधना सम्बन्धी लाभ उठाकर हनुमत्प्राप्ति कर अपने जीवनको कृतार्थ करें।
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