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मार्च, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विष्णु पुराण PDF Download || Vishnu Purana book pdf download

विष्णुपुराण अट्ठारह पुराणों में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण तथा प्राचीन है। यह श्री पराशर ऋषि द्वारा प्रणीत है। इसके प्रतिपाद्य भगवान विष्णु हैं, जो सृष्टि के आदिकारण, नित्य, अक्षय, अव्यय तथा एकरस हैं। इस पुराण में आकाश आदि भूतों का परिमाण, समुद्र, सूर्य आदि का परिमाण, पर्वत, देवतादि की उत्पत्ति, मन्वन्तर, कल्प-विभाग, सम्पूर्ण धर्म एवं देवर्षि तथा राजर्षियों के चरित्र का विशद वर्णन है। भगवान विष्णु प्रधान होने के बाद भी यह पुराण विष्णु और शिव के अभिन्नता का प्रतिपादक है। विष्णु पुराण में मुख्य रूप से श्रीकृष्ण चरित्र का वर्णन है, यद्यपि संक्षेप में राम कथा का उल्लेख भी प्राप्त होता है। अष्टादश महापुराणों में श्री विष्णुपुराण का स्थान बहुत ऊँचा है। इसमें अन्य विषयों के साथ भूगोल, ज्योतिष, कर्मकाण्ड, राजवंश और श्रीकृष्ण-चरित्र आदि कई प्रंसगों का बड़ा ही अनूठा और विशद वर्णन किया गया है। श्री विष्णु पुराण में भी इस ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति, वर्ण व्यवस्था, आश्रम व्यवस्था, भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की सर्वव्यापकता, ध्रुव प्रह्लाद, वेनु, आदि राजाओं के वर्णन एवं उनकी जीवन गाथा, विकास की परम्परा, क...

श्री हनुमान-अंक || Hanuman Anka PDF download

प्राचीन भारतके ऋषि महर्षि अत्यन्त उच्चकोटिके ज्ञानी, भक्त और परोपकारी संत थे। उन्होंने लोक-कल्याणके लिये अपने भगवदीय ज्ञान का मुक्त हृदय से प्रचार-प्रसार किया। जगदात्मा भगवान् एक ही हैं, फिर भी शिव, विष्णु, शक्ति, सूर्य, गणेश, स्कंद तथा विष्णुके राम, कृष्ण, वामन, नृसिंह, मत्स्य, कूर्म आदि अवतारोंके नामपर उन्होंने पुराणों तथा उपासना प्रन्थोंकी रचना कर विभिन्न रुचिके प्राणियोंको उस एक ही परमात्माकी प्राप्तिकी ओर प्रेरित किया।  हनुमान जी पर वेद, पुराण, रामायण, महाभारत और तुलसी साहित्य में प्रचुर सामग्री प्राप्त होती है। तन्त्र- साहित्य में उनकी उपासना के चमत्कारिक प्रभाव निर्दिष्ट हुए हैं और हनुमत् उपासना, कल्पद्रुम आदि कई स्वतन्त्र ग्रन्थ भी हैं। मन्त्रमहोदधि, मन्त्रमहार्णव आदिमें उनकी अनेक उपासना-विधियाँ हैं। इन सबोंके आधारपर विद्वानोंने बहुत अच्छे लेख लिखे। वेदाचार्य गंगेश्वरानन्दजी महाराजने कुछ वैदिक मन्त्रोंका हनुमान्परक इतना सुन्दर अर्थ दिखलाया, जिसे पढ़कर यही लगा कि वास्तव मे उसके पद, अक्षर सब रामायण के उन्हीं अर्थों को व्यक्त करते हैं जो हनुमान्परक हैं। इसीलिये प्राचीन विद्वान...