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फ़रवरी, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मातङ्गी महाविद्या पुस्तक || Matangi Mahavidya book pdf download

गुप्त नवरात्रि की नौवीं महाविद्या मातंगी है।  मातंगी देवी प्रकृति की देवी हैं। कला संगीत की देवी हैं। तंत्र की देवी हैं। वचन की देवी हैं। यह एकमात्र ऐसी देवी हैं जिनके लिए व्रत नहीं रखा जाता है। यह केवल मन और वचन से ही तृप्त हो जाती हैं। भगवान शंकर और पार्वती के भोज्य की शक्ति के रूप में मातंगी देवी का ध्यान किया जाता है। मातंगी देवी को किसी भी प्रकार के इंद्रजाल और जा को काटने की शक्ति प्रदत्त है।  देवी मातंगी का स्वरूप मंगलका है वह विद्या और वाणी की अधिष्ठात्री है पशु, पक्षी, जंगल, आदि प्राकृतिक तत्वों में उनका वास होता है वह दस महाविद्याओं में नौवें स्थान पर हैं। मातंगी देवी श्री लक्ष्मी का ही स्वरूप हैं। नवरात्रि में जहां नवां स्थान मां सिद्धिदात्री को प्राप्त है, वहां गुप्त नवरात्रि की नौवां स्थान देवी मातंगी को प्राप्त है। स्वरूप दोनों ही श्रीलक्ष्मी के हैं। मतंग मुनि की पुत्री हैं मातंगी एक बार भगवान विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी जी, भगवान शिव तथा पार्वती से मिलने हेतु उनके निवास स्थान कैलाश शिखर पर गए। भगवान विष्णु अपने साथ कुछ खाने की सामग्री ले गए और शिव जी को भेट किए...

असली कोका शास्त्र || Asali koka Shastra pdf download

असली कोकशास्त्र  ki  story. (Shree Ram Pariwar) जैसे महत्वपूर्ण कोकशास्त्र ग्रन्थ के रचयिता- कोकापंडित का संक्षिप्त जीवन किसी समय काश्मीर देश में महाराज शान्तिदेव राज्य करते थे । उनकी न्याय-प्रियता और प्रजा वात्सल्य के कारण प्रजा उन्हें पिता के समान स्नेह करती थी । प्रजा का ऐसा स्नेह देखकर पुत्र- विहीन होने पर भी उन्हें वृद्धावस्था में पुत्राभाव के दुःख का अनु- भव नहीं होता था । ठोक वैसे ही उनके प्रधान मन्त्री पं० दीनानाथ जी थे । जो अनुभवी और बुद्धिमान व्यक्ति थे वे महाराज के समवयस्क और 1 परम स्नेही थे । प्रजा की देख-रेख का भार प्रायः उन्हीं पर था । प्रजा भी उन्हें जी-जान से प्यार करती थी । दैव-दुर्विपाक से इनके भी कोई सन्तान न थी । एक दिन महाराज ओर प्रधान मन्त्री काश्मीरी पर्वतों पर भ्रमण करने के लिये गये थे। काश्मीर देश ऐसा सुन्दर पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जो दुर्ग की प्राचीर की भाँति उसे चारो ओर से घेरे हुए हैं उन पहाड़ियों पर अंगूर, फालसा, अखरोट, बादाम आदि अनेक प्रकार के मेवे हर समय, मौसिम के लिहाज से लदे रहते हैं। कन्द-फल-फूल की तो गिनती ही नहीं। ऐसा हरा-भरा प्रदेश भू-मण्...