गुप्त नवरात्रि की नौवीं महाविद्या मातंगी है। मातंगी देवी प्रकृति की देवी हैं। कला संगीत की देवी हैं। तंत्र की देवी हैं। वचन की देवी हैं। यह एकमात्र ऐसी देवी हैं जिनके लिए व्रत नहीं रखा जाता है। यह केवल मन और वचन से ही तृप्त हो जाती हैं। भगवान शंकर और पार्वती के भोज्य की शक्ति के रूप में मातंगी देवी का ध्यान किया जाता है। मातंगी देवी को किसी भी प्रकार के इंद्रजाल और जा को काटने की शक्ति प्रदत्त है। देवी मातंगी का स्वरूप मंगलका है वह विद्या और वाणी की अधिष्ठात्री है पशु, पक्षी, जंगल, आदि प्राकृतिक तत्वों में उनका वास होता है वह दस महाविद्याओं में नौवें स्थान पर हैं। मातंगी देवी श्री लक्ष्मी का ही स्वरूप हैं। नवरात्रि में जहां नवां स्थान मां सिद्धिदात्री को प्राप्त है, वहां गुप्त नवरात्रि की नौवां स्थान देवी मातंगी को प्राप्त है। स्वरूप दोनों ही श्रीलक्ष्मी के हैं। मतंग मुनि की पुत्री हैं मातंगी एक बार भगवान विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी जी, भगवान शिव तथा पार्वती से मिलने हेतु उनके निवास स्थान कैलाश शिखर पर गए। भगवान विष्णु अपने साथ कुछ खाने की सामग्री ले गए और शिव जी को भेट किए...
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