वह राक्षस था—रक्ष संस्कृति का रक्षक... विश्व को जीतना चाहता था वह! देव उसके बंदी थे, उसने अपने बाहुबल से तीनों लोकों पर विजय पा ली थी। वह परम विद्वान था... ज्ञाता था अंग- उपांगों सहित चारों वेदों का। फिर भी दुष्कर्मों में प्रवृत्त हुआ। अभिमान ने भटका दिया उसे या फिर जब विजय की मूर्च्छा टूटी तब तक काफी आगे बढ़ चुका था वह- पीछे जाना असंभव था।
राम के हाथों मृत्यु को वरण किया—यह समझदारी थी उसकी। शस्त्र-शास्त्र ज्ञाता लंकाधिपति रावण के जीवन में उतार-चढ़ाव की अनूठी गाथा है इस
ग्रंथ में। शिवोपासक दशकंधर, अजेय, राक्षसराज, महान योद्धा, वेदांतविग्रह, लंकाधिपति, शासक, देव-मुनि विरोधी, मायावी, तंत्र-मंत्र के परम ज्ञाता, औषध विज्ञान के रहस्यों के जानकार, दैवज्ञ रावण के जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं की झलक ।
रावण ऋषि पुत्र था। वह पुलस्त्य का पोता था और विश्रवा का पुत्र । उसकी मां राक्षसराज सुमाली की बेटी थी। राक्षस गुह्य विद्याओं के जानकार थे। वे जानते थे कि ऋषि वीर्य को किस विशिष्ट काल में धारण कराने पर राक्षसों के हितों का साधक जन्म लेगा। उसी समय कैकसी ने विश्रवा से प्रणय-याचना की थी। रावण और कुंभकर्ण का जन्म राक्षसों की हित रक्षा के लिए राक्षस प्रमुखों द्वारा करवाया गया था; ऐसा कहना गलत न होगा।
तप और अहं का सम्मिश्रण था राक्षसों में रावण भी इससे अछूता कैसे रह सकता था । अपने जीवन में उसने सिर्फ विजय को ही याद रखा, हार को तो उसने दुःस्वप्न की तरह भूलने की ही कोशिश की।
शास्त्रों का परम ज्ञाता था रावण, फिर क्या विष्णु के रामरूप में अवतार लेने की बात उससे छिपी थी? विद्वानों का ऐसा मत है कि इस बात को जानते हुए ही रावण ने राम से विरोध किया। तामसी शरीर की विवशता थी, इसीलिए अपमानित करके उसने विभीषण को राम के पास भेज दिया।
अपनी गलतियों को जानते हुए भी उन्हें अस्वीकारना रावण की विवशता थी— देवताओं से समझौता उस जाति के हित और सम्मान की रक्षा नहीं करता था; जिसमें उसका जन्म हुआ था, जिसके विजय अभियान का नेतृत्व उसके हाथों में था। योद्धा को भी तो योगी की गति प्राप्त होती है।
प्रकाश भेद डालता है, घने अंधकार को यह सिद्धांत अनुभव सिद्ध है, लेकिन इतिहास की इस सच्चाई को भी नकारा नहीं जा सकता कि बुराई ने सदा ही अच्छाई को ढका है। 'पाप से घृणा करो, पापी से नहीं,' ऐसा कहने के बाद भी क्या हम ऐसा कर पाते हैं? शायद नहीं! तभी तो रावण की तमोगुणी राक्षसी वृत्तियों की कालिमा ने उसके उजले पक्ष को ढक दिया। इस ग्रंथ में शस्त्र शास्त्र ज्ञाता महाबली रावण के उसी उजले पक्ष को उजागर किया गया है।

यह ग्रंथ पांच खंडों में विभाजित है। प्रथम खंड में है रावण का संपूर्ण जीवन वृत्त। इसे मूल संस्कृत के साथ सरल हिंदी में दिया गया है। मूल को जहां से उद्धृत किया गया है, उसके अनुसार यह अंश वाल्मीकीय रामायण का अंश है। मूल का परित्याग हमने इसलिए नहीं किया, ताकि संस्कृत भाषा का साहित्यिक आनंद भी पाठक ले सकें। दूसरे खंड में उन साधनाओं की चर्चा है, जो शिवोपासना से संबंधित हैं। प्रणव व पंचाक्षर साधना के साथ ही इसमें लिंग स्थापना और शिवपूजन की शास्त्रीय विधियां दी गई हैं। तीसरे खंड में तंत्र-मंत्र साधनाओं के रहस्यों को उजागर किया गया है। तंत्र का एक भाग है वनस्पतियों के चमत्कारी प्रयोग तंत्र का यह भाग आयुर्वेद से संबंधित होता हुआ भी उससे बिलकुल भिन्न है। रावण तंत्र का ज्ञाता था। वह जानता था कि यदि बच्चे स्वस्थ एवं नीरोग नहीं होंगे, तो कोई भी समाज सशक्त नहीं होगा। इसीलिए उसने जहां स्वस्थ, रोगमुक्त तथा दीर्घायु बनाने वाले अंकों की चर्चा की, वहीं नवजात शिशुओं व उनकी माताओं के स्वास्थ्य के भी नुस्खे दिए । योद्धा के लिए औषधि ज्ञान जरूरी है, रावण उसका भी परम ज्ञाता था। इस ग्रंथ के चतुर्थ खंड से उसके इसी औषधि संबंधी ज्ञान का संकेत मिलता है। पंचम खंड में ज्योतिष के विशेष योगों की चर्चा है। इस खंड में ऐसी सामग्री का समावेश नहीं किया गया है, जो 'भृगु संहिता' जैसे ग्रंथों में प्राप्त हैं। विदित हो कि बाजार में उपलब्ध 'लाल किताब' का संबंध भी रावण से ही है। इस पुस्तक में ज्योतिष, हस्तरेखा और सामुद्रिक शास्त्र का समावेश है। यदि आपकी रुचि ज्योतिष में है, तो यह पुस्तक आपके लिए उपयोगी है— इसमें नयापन है।
रावण संहिता की पूरी जानकारी हमने आपको एक वीडियो बनाकर भी उपलब्ध करवाइ हैं। जो आप देख सकते हैं।
आपको नीचे पीडीएफ पुस्तक उपलब्ध करवा दी है वह बिल्कुल मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं। रावण संहिता में ऐसे बहुत सारे प्रयोग जिनके द्वारा आप किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचा सकते हैं तो ऐसे प्रयोगों को करने से आपको बचना है। ऐसे प्रयोग को अगर कोई व्यक्ति करता है तो उसे निश्चित रूप से हानि प्राप्त होगी इसलिए ऐसे प्रयोग को बिल्कुल भी मत कीजिएगा अगर आप कोई वैसे प्रयोग करेंगे तो हम उसके जिम्मेदार नहीं होंगे और अगर कोई भी औषधि या फिर साधना आप करना चाहते हैं तो कृपया करके किसी अच्छे साथक या अपने गुरु से सानिध्य जरुर लीजिएगा।
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