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महाकाली सहस्त्रनाम स्तोत्र || Mahakali sahstranaam stotra pdf

नमस्कार मित्रों 
इस पोस्ट के अंदर हम आपको माता महाकाली का सहस्त्रनाम स्त्रोत्र उपलब्ध करवा रहे हैं। देखिए माता महाकाली का सहस्त्रनाम स्त्रोत का पाठ करने से मनुष्य के सभी प्रकार के दुख नष्ट हो जाते हैं और उसे धन-ऐश्वर्य और सुख शांति की प्राप्त होती है। जो व्यक्ति तंत्र आदि से बहुत ज्यादा परेशान है वह भी इसका पाठ कर सकते हैं उनके लिए भी बहुत ज्यादा लाभदायक होता है। क्योंकि इसका पाठ करने से सभी प्रकार के तंत्र बाधा नष्ट होती है। और जो व्यक्ति शत्रुओं से परेशान है उनके लिए यह बहुत ज्यादा लाभदायक होने वाला है क्योंकि जो शत्रुओं से परेशान होते हैं अगर वह व्यक्ति इसका रोजाना पाठ करते हैं तो उनके सभी प्रकार के शत्रु शांत हो जाते हैं और व्यक्ति को सभी प्रकार के शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।

जानकारी
पुस्तक का नाम Mahakali sahstranaam stotra PDF
साइज 4.5 Mb
प्रदानकर्ता श्र राम परिवार
लेखक
-
प्रष्ठ 10
प्रकाशन -
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 इसके पाठ करने की कई सारी गुप्त विधियां है जो कि गुरु परंपरा के द्वारा ही प्राप्त हो सकती हैं। लेकिन सामान्य रूप से व्यक्ति इसका रोजाना पाठ कर सकता है।

 देखिए माता महाकाली के सहस्त्र मंत्र का जाप करने से आपकी सभी प्रकार के मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और जब आप इसका जप करोगे तो आपको इसके अनुभव स्वयं प्राप्त करोगे।

भगवान शिव ने भी इसके संबंध में कहा है- सब मन्त्रों में उत्तमोत्तम यह महामन्त्र है, जिसे पाकर मैंने ऐश्वयंपूर्ण उत्तम पद को प्राप्त किया है। आप परम भक्तिपूर्वक यथोक्तविधि से त्रिलोक पर विजय पाने की इच्छा से देवी का पूजन करें। तो देवी आपकी सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

महाकाली सहस्त्रनाम स्त्रोत पाठ के द्वारा पूजन, होम, न्यास, बलि, गन्ध, पुष्प, नित्यकर्म, प्राणायाम, ध्यान, भूत शुद्धि, दान, जप आदि के बिना काली देवी को प्रसन्न किया जा सकता है।

खेल ही खेल में करोड़ों दानवों का वध करने वाली, रुधिर- प्रिया, सदैव स्तोत्र को चाहने वाली, काम- कौतुक की लालसा वाली, सदैव आनन्दित हृदय वाली, माधवी नामक सुरा तथा मत्स्य-मांस की अनुरागिणी, परा वैष्णवी, श्मशान वासिनी, प्रेतगणों के साथ नृत्य महोत्सव करने वाली, योग-सिद्धि से युक्त योगीश्वरी तथा योगियों के हृदय में निवास करने वाली उस उग्रकालिका देवी को हे राम ! तुम्हें प्रसन्न करना चाहिए। उसका स्तोत्र अत्यन्त पुण्यमय है, जिसे उस काली ने स्वयं ही प्रकट किया है। मैं तुमसे उसे कहूंगा। हे वत्स! तुम उसे सुनकर हृदयङ्गम करो। उसे प्रयत्नपूर्वक गुप्त रखना चाहिए तथा श्रेष्ठ से भी श्रेष्ठ जानकर उसका पाठ करना चाहिए।

इस स्तोत्र का एक ही बार पाठ करने से समस्त विघ्न उसी प्रकार नष्ट हो जाते हैं, जिस प्रकार कि प्रज्ज्वलित अग्नि में सभी पतंगे भस्म हो जाते हैं। इस स्तोत्र का पाठ करने वाले साधक की वाणी गंगा के प्रवाह की भांति गद्यपद्यमयी हो जाती है और उसके दर्शनमात्र से ही वादी लोग निष्प्रभ हो जाते हैं। उसके हाथ में सभी सिद्धियां बनी रहती हैं, इसमें सन्देह नहीं है। राजा लोग भी उसकी दासता मानते हैं, फिर अन्य लोगों की तो बात ही क्या है।
रात्रि के समय खुले कश तथा नग्न होकर शक्ति के साथ महा काल द्वारा प्रसन्न की गई काली का मन में ध्यान करे तथा मोक्ष के साधन स्वरूप सहस्रनाम वाले स्तोत्र का पाठ करे, तो ऐसे भक्त पर काली देवी प्रसन्न होकर पुत्रभाव से कृपा करती है।

जिस प्रकार ब्रह्मामृत तथा ब्रह्मकुसुमों से पूजित होकर पराशक्ति प्रसन्न होती है, उसी प्रकार इस स्तोत्र का पाठ किये जाने पर भी महाकाली देवी प्रसन्न होती है।

माता महाकाली का सहस्त्रनाम स्त्रोत्र नीचे उपलब्ध करवा दिया है डाउनलोड बटन पर क्लिक करके आप से प्राप्त कर सकते हैं।
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