भगवान नरसिंह की साधना विधि। (श्री राम परिवार )


नमस्कार मित्रों इस पोस्ट में हम आप सभी लोगों को भगवान नरसिंह की साधना उपलब्ध करवाने वाले हैं इस साधना के बारे में हमारे चैनल के एक सदस्य ने पूछा था अगर आप लोगों को भी किसी प्रकार की कोई साधना या फिर किसी भी विषय में जानकारी प्राप्त करना है तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं हम आपको जानकारी जरूर उपलब्ध करवा देंगे।

भगवान नरसिंह का स्वरूप बहुत ज्यादा उग्र है लेकिन अपना उग्र स्वरूप होने के बावजूद भी यह सदा अपने भक्तों के लिए सौम्य रूप में ही रहते हैं अपने भक्तों को सदा रक्षा प्रदान करते हुए हर प्रकार की चीजों से उनकी रक्षा करते हैं।
भगवान नरसिंह में सदा अपने भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। भगवान नरसिंह भगवान विष्णु का अवतार है अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने यह रूप धारण किया था वह स्थान में पढ़कर नरसिंह के रूप में बाहर आए थे। इसी तरीके से जब भी उनका कोई भी वक्त मुसीबत में होता है तो कोई ना कोई रूप धारण करके कोई ना कोई माध्यम से उसकी रक्षा के लिए जरूर आते हैं। अब हो सकता है कि आप उस समय भगवान को पहचान ले और हो सकता है कि न भी पहचाने। लेकिन आप चाहें पहचाने या नहीं पहचाने वह आपके रक्षा के लिए जरूर आते हैं।

नरसिंह भगवान का रूप उग्र होने का कारण इनकी साधना भी उग्र होते हैं इनके दाम से साधना तो पहुंच ज्यादा उम्र होती है और उसे बिना गुरु के सानिध्य में नहीं किया जा सकता यहां हम आपको भगवान नरसिंह की सात्विक साधना उपलब्ध करवाने वाले हैं जिसे आप बहुत ही आसानी से कर सकते हैं लेकिन यह साधना भी कई बार उग्र हो जाती है तो अगर यह साधना करना चाहते हैं तो आप जरूर अपने गुरु से संपर्क कर लीजिएगा।

देखे नरसिंह भगवान की यह साधना आपको भगवान नरसिंह जी के मंदिर में जाकर करनी होती है अगर भगवान नरसिंह जी का मंदिर आप के आस पास नहीं है तो आप भगवान विष्णु के किसी भी अवतार के मंदिर में जाकर भी इस साधना को कर सकते हैं। लेकिन यह साधना आपको घर पर बिल्कुल भी नहीं करनी है इस बात का आप को ध्यान रखना है भगवान नरसिंह का रूप उग्र होने के कारण इस साधना को घर पर नहीं करना चाहिए। आपको साधना नरसिंह जयंती से शुरू करनी होती है साधना में आपको कम से कम एक लाख जाप जरूर करना है आप एक लाख जा पूरा करने के लिए 11 दिन, 21 दिन या फिर 41 दिन का संकल्प ले सकते हैं। जैसे भी आपके सुविधा हो उस अनुसार आप संकल्प ले लीजिएगा। आप नरसिंह जयंती के दिन सुबह नहा धोकर नरसिंह ने मंदिर में जाकर इस साधना को शुरू कर सकते हैं।

सर्वप्रथम आपको भगवान गणेश का अपने गुरु का पूजन करना होता है। और अपने इष्ट देव का पूजन भी करना होता है। उसके बाद में आपको भगवान नरसिंह का पूजन करना है और भगवान विष्णु का ध्यान करना है और आपको भगवान विष्णु से प्रार्थना करनी है कि "हे प्रभु मैं अपनी परेशानियों से परेशान होकर विवश होकर आपके इस उग्र स्वरूप की साधना कर रहा हूं इसलिए आप मुझ पर कुपित मत होइए गा, आप मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान कीजिएगा जिससे कि मुझे साधना में सफलता प्राप्त हो सके। हे प्रभु अगर मुझसे साधना के दौरान कोई भी गलती हो जाए तो मुझे क्षमा कर दीजिएगा।"
इस तरीके से आपको भगवान विष्णु का ध्यान करना है और उनसे प्रार्थना करनी है। भगवान विष्णु का ध्यान और प्रार्थना करना साधना में बहुत ज्यादा जरूरी है क्योंकि भगवान नरसिंह का जो स्वरूप है वह बहुत ही उग्र है तो कई बार भगवान नरसिंह जो है क्रोधित भी हो जाते हैं। इसलिए जब आप भगवान विष्णु से इस तरीके से प्रार्थना करोगे तो वह कभी भी क्रोधित नहीं होंगे और आपको अपना आशीर्वाद जरूर प्रदान करेंगे।

उसके बाद में आपको भगवान नरसिंह का पूजन करना है और पूजन करने के बाद में आपको अपने गुरु मंत्र का एक माला जाप करना है। और अब आपको भगवान नरसिंह बीज मंत्र का जाप करना है।
बीज मंत्र - क्ष्रौं नमः

इसके बाद में आपको भगवान नरसिंह के जयकारा मंत्र या नीचे दिए गए मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र का एक माला जाप करना है।

जय जय श्री नृसिंहाय नमः
ॐ श्रीं लक्ष्मी नृसिंहाय नमः
ॐ क्ष्रौं महानृसिंहाय नमः
ॐ नौं नमो भगवते नृसिंहाय नमः

और इसके बाद में आपको भगवान नरसिंह को प्रणाम करके उनके मंत्र का जाप करना है।

उग्र वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखं नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहं

यह मंत्र साधना पूर्ण होने के बाद में सिद्ध हो जाता है और इसका आप कभी भी प्रयोग कर सकते हैं।

इस मंत्र को अन्य दो रूपों में भी जाप किया जा सकता है। यह जप आपकी इच्छा के ऊपर निर्भर करता है।
अगर आप शाम बल्कि राजनीति या किसी विशेष क्षेत्र में सफलता के लिए साधना कर रहे हैं या फिर अपने शत्रु से बचाव के लिए साधना कर रहे हैं तो नीचे दिए गए मंत्र का साधना में जाप करना है।

ह्रीं उग्र वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखं नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहं ह्रीं नमः ( सामर्थ्य, राजनीति एवं किसी विशेष लक्ष्य की प्राप्ति के लिए )

ॐ क्ष्रौं उग्र वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखं नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहं ( शत्रु बाधा से परेशानी के लिए)

साधना पूर्ण होने के बाद में आप छोटे-छोटे बच्चों को जरूर भोजन कराएं। और भगवान नरसिंह का भोग गरीबों में जरूर बाटे।

मंत्र सिद्ध होने के बाद में आप इसका कई प्रकार से इस्तेमाल कर सकते हैं। नजर, भूत बाधा, प्रेत बाधा या फिर किसी भी प्रकार की कोई अन्य समस्या हो उससे भी निजात मंत्र के द्वारा पाई जा सकती है।

किसी भी भूत-प्रेत या फिर तंत्र से ग्रसित व्यक्ति का इलाज करने के लिए मंत्र के द्वारा जल अभिमंत्रित करके उसके शरीर पर जल के छींटे मारें और उसे जल पिला दे और जल के कुछ छींटे उसके आसपास के वातावरण में भी मार दे जिससे कि उसके आसपास का वातावरण भी शुद्ध हो जाए इस तरीके से वह व्यक्ति भूत-प्रेत या फिर तंत्र से मुक्त हो जाता है।

नजर उतारने के लिए, झाड़ा देने के लिए भी इस मंत्र का प्रयोग किया जा सकता है।

इस मंत्र को और भी अनेक प्रकार से प्रयोग में लाया जा सकता है अगर आपको कभी भी वह लगता है या फिर किसी प्रकार की परेशानी आपके समक्ष आ जाती है तो भी अगर आप इस मंत्र का एक माला जप करोगे या 11 या 21 बार जब करोगे तो उससे भी आपको इस परेशानी से निजात मिल जाएगी।

साधना से संबंधित और मंत्र से संबंधित सारी जानकारी हमने आपको उपलब्ध करवा दी है। आप पूरी जानकारी को ध्यान से पढ़ लीजिएगा। और अगर कोई परेशानी आए तो आप नीचे कमेंट कर दीजिएगा।

 सारी जानकारी हमने आपको पीडीएफ में लिखकर भी उपलब्ध करवा दिए जो आप नीचे डाउनलोड कर सकते हैं।



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