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स्वस्ति वाचन क्या होता है? क्यों किया जाता है इसके क्या लाभ हैं? - (Shree Ram Priwa)

नमस्कार मित्रों

मित्रोहिंदू धर्म में पूजा पाठ को खास महत्व दिया गया हैं और साथ ही इसके लिए कई सारे नियम भी बनाएं गए हैं चाहे कोई भी पूजा हो, शादी विवाह हो या कोई हवन का आयोजन हो, एक मंत्र आपने जरूर सुना होगा। ' ऊं स्वस्ति न इंद्रो ' इसके मंत्रोजाप के समय पंडित और विद्वान लोग एक अलग ही ऊर्जा के साथ सस्वर पाठ करते सुनाई देते हैं।


 

स्वस्ति वाचन आपने पूजन में कई बार सुना ही होगा मगर इसका अर्थ आप नहीं जानते होगे। स्वस्ति मंत्र शुभ और शांति के लिए प्रयुक्त होता हैं। स्वस्ति = सु + अस्ति = कल्याण हो। ऐसा माना गया हैं कि इससे ह्रदय और मन मिल जाते हैं स्वस्ति मंत्र का पाठ करने की क्रिया स्वस्तिवाचन कहलाती हैं।

यहां पढ़ें स्वस्ति वाचन मंत्र—

ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।

स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।

स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।

स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

हिन्दी भावार्थ: 

महान कीर्ति वाले इन्द्र हमारा कल्याण करो, विश्व के ज्ञानस्वरूप पूषादेव हमारा कल्याण करो। जिसका हथियार अटूट है ऐसे गरुड़ भगवान हमारा मंगल करो। बृहस्पति हमारा मंगल करो।

आपको बता दें कि स्वस्ति वाचन किसी भी पूजा के प्रारंभ में किया जाना चाहिए। स्वस्ति वाचन के पश्चात सभी दसों दिशओं में अभिमंत्रित जल या पूजा में प्रयुक्त जल के छीटें लगाने चाहिए। वही नए घर में प्रवेश के समय भी ऐसा करना मंगलकारी माना जाता हैं विवाह के विधिविधान में भी स्वस्ति वाचन का महत्व होता हैं। जिस तरह स्वास्तिक सभी प्रकार के वास्तुदोष समाप्त कर देता हैं वैसे ही स्वस्ति वाचन से सभी तरह के पूजन दोष भी दूर हो जाते हैं।


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