नमस्कार मित्रों इस पीडीएफ में हम आप सभी लोगों को हनुमान वायु गमन सिद्धि साधना उपलब्ध करवा रहे हैं। यह साधना हमारे चैनल के एक सदस्य रोमिन राज जी के द्वारा प्रदान की गई है, उन्हीं के शब्दों में यह साधना आपको प्रदान कर रहे हैं। आपको नीचे हमारी अन्य पुस्तकें भी देखने को मिलेगी आप उन पुस्तकों को भी प्राप्त कर सकते हैं और अन्य वीडियो को भी उन पर क्लिक करके देख सकते हैं।
सभी को नमस्कार,
नमस्ते दोस्तो.... नमस्कार गुरुजी....मैं रोमिन राज बजराचार्य एक बार फिर से एक नई साधना लेकर आया हूं। गुरुजी को और "श्री राम परिवार" देखने वाले सभी दर्शनों को मेरा प्रणाम। मैं विराटनगर सिटी नेपाल से हूं। और गुरुजी आज का जो पोस्ट है वो बहुत ही ज्यादा लजवाब और अतिता मजेदार है क्योंकि मैं जो साधना दे रहा हूं.... वो बहुत सारी पारलौकिक सिद्धियाँ और दिव्य शक्तियाँ प्रप्त हो जाती हैं लेकिन इस साधना को बिशेष रूप से वायुमन सिद्धि की प्राप्ति के लिए ही किया जाता है। पंचमुखी हनुमान (पंचमुखी हनुमान) है।
ये एक बहुत ही दुर्लभ और लुप्त और गुप्त साधना की श्रेणी में आता है यानि की बहुत ही दुर्लभ और लुप्त और गुप्त साधना के अंतर्गत है। इस साधना को करने वाला व्यक्ति या साधक बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली हो जाता है। ओके गुरुजी... ठीक है दोस्तों... तो अब मैं किसी का भी
टाइम वेस्ट किया बिना सीधे साधना पर आता हूं... और इस हनुमान वायुगमन सिद्धि साधना के नियम और विधि के बारे में बताता हूं। इस साधना के नियम और विधि कुछ इस प्रकार हैं:
1) हनुमान वायुगमन सिद्धि साधना सिर्फ और सिर्फ हनुमान जयंती, राम नवमी, सीता जयंती, नरसिंह
Underline
जयंती (नरसिंह जयंती) और दिवाली के दिन से सुरु किया जा सकता है। 2 ) इस साधना को हनुमानजी के शक्ति पीठ (शक्ति पीठ) पर या फिर बहुत ही पुराने और बड़ी अहमियत रखने वाले कुछ विशेष हनुमान मंदिर में किया जाता है। इस साधना को घर पर नहीं किया जा सकता है। इस साधना को सिर्फ गुरु के रेखदेख में ही करना चाहिए।
3) साधक को सबसे पहले इसी प्रकृति के कुछ हनुमान शक्ति पीठ या ऐसे ही पुराने और बड़ी अहमियत रखने वाले हनुमान मंदिर में ब्रह्म मुहूर्त में ऊपर दिए गए में से किसी भी शुभ दिन का चयन करके जाना है और गुरु पूजन एक कर गणेश पूजन करना है और उसके बाद त्रिदेव की पूजा करनी है और उसके बाद आखिरी में सूर्यदेव की पूजा करनी है। 4) ये सब करते समय साधक का मुख पूर्व दिशा निर्देश की और होना चाहिए।
5) अब इतना हो जाने के बाद साधक को रुद्राभिषेक करना है और हनुमान मूल मंत्र या फिर रुद्रसूक्त का
पाठ करना है। और शिव जी का अभिषेक (अभिषेक) करना है। उसके बाद साधक को भगवान शिव
और हनुमानजी से सफलता का आशीर्वाद मांगना है।
6) साधक को इस साधना में सिर्फ और सिर्फ लाल, पिला और सफेद रंग का कपड़ा ही पहनना है और इसके अतिरिक्त किसी अन्य रंग का कपड़ा नहीं पहनना है। लेकिन लाल रंग का कपड़ा इस साधना के लिए सर्वोत्तम होता है।
7) अब ये सब हो जाने के बाद साधक को रात के समय लाल कपड़े पहनने फिर से उसी स्थान पर जाना है। और ब्रह्मचर्य का पूर्ण रूप से पालना करना है।
8) अब साधक को उत्तर पूर्व की और मुख करके बैठना है और अपने हाथ में एक संस्कारित रक्त चंदन की माला लेकर इस विचित्र वीर हनुमान माला मंत्र का 5 माला जाप करना है। और इस साधना को लगतार 41 दिन तक करना है। प्रतिदिन 4 घण्टे या उससे ज्यादा मंत्र जाप करना है। क्योंकि इस मंत्र की 1 माला करने में ही साधक को लग भाग 1 घंटा लग जाता है। जो भी संकल्प इस साधना में लिया जाता है वो पूर्ण रूप से संस्कृत में लेना है और अगर आपको संस्कृत में संकल्प लेने में कोई दिक्कत आये तो आप मंदिर के पुजारी से संपर्क कर सकता है। विचित्र वीर हनुमान माला मंत्र इस प्रकार है:
मन्त्र :- ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाज्वलत्प्रतापवज्रदेहाय
अञ्जनीगर्भसम्भूताय प्रकटविक्रमवीरदैत्य दानवयक्षराक्षसग्रहबन्धनाय भूतग्रह प्रेतग्रहपिशाचग्रहशाकिनीग्रहडाकिनीग्रह- काकिनीग्रहकामिनीग्रहब्रह्मग्रहब्रह्मराक्षसग्रह- चोरग्रहबन्धनाय एहि एहि आगच्छागच्छ- आवेशयावेशय मम हृदयं प्रवेशय प्रवेशय स्फुर स्फुर प्रस्फुर प्रस्फुर सत्यं कथय कथय व्याघ्रमुखं बन्धय बन्धय सर्पमुखं बन्धय बन्धय राजमुखं बन्धय बन्धय सभामुखं बन्धय बन्धय शत्रुमुखं बन्धय बन्धय सर्वमुखं बन्धय बन्धय लङ्काप्रासादभञ्जन सर्वजनं मे वशमानय वशमानय श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सर्वानाकर्षय आकर्षय शत्रून् मर्दय मर्दय मारय मारय चूर्णय चूर्णय खे खे खे श्रीरामचन्द्राज्ञया प्रज्ञया मम कार्यसिद्धि कुरु कुरु मम शत्रून् भस्मी कुरु कुरु स्वाहा ॥ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं हैं ह्रौं ह्रः फट् श्रीविचित्रवीरहनुमते मम सर्वशत्रून् भस्मी कुरु कुरु हन हन हुं फट् स्वाहा ॥
इस साधना को करते समय साधक को ऐसा लग सकता है कि वो हवा (हवा) में उड़ रहा है या उसका शरिर बहुत ही हलका हो गया है। इस तरह से बहुत सारे तो और अनुभव होता है, डरना नहीं है। पूर्ण एकाग्र के साथ मंत्र जाप करते रहना है। साधक को 41 दिन तक शेभ, केला, अनार और दूध के दूध के अलावा और कुछ नहीं खाना है। इस साधना से साधक को चित्त अभिज्ञान सिद्धि, अपराजय सिद्धि, दूरदर्शन सिद्धि, दूरश्रवण सिद्धि, जलगमन सिद्धि, वायुगमन सिद्धि, दर्दुरी सिद्धि और मनोज सिद्धि जैसे कई अनेक प्रकर की पारंपरिक सिद्धियाँ और दिव्य शक्तियाँ भी प्राप्त होती हैं। इस तरह की • दिव्य हनुमान मंत्र साधना में सफल होने के लिए साधक आध्यात्मिक स्तर उच्च होना चाहिए उसे हनुमानजी के ऊपर पूर्ण श्रद्धा और विश्वाश भी होना चाहिए। आगर साधक को एक बार में सफल न मिले तो साधक को बार बार इस साधना को प्रयास करते रहना चाहिए। ऐसी साधना में सफलता स्वयं हनुमान जी के हाथ में होती है।
जो नए साधक हैं वो अगर इस साधना को करते हैं तो उन्हें हनुमानजी के स्वप्न दर्शन होते हैं और कई परकार के अनुभव भी होते हैं लेकिन जिन साधको का स्तर थोड़ा ऊपर होता है उदास है उने निश्चय रूप से वायुमन सिद्धि (वायुगमन सिद्धि) की प्राप्ति होती ही है। ठीक है गुरुजी, तो ये पोस्ट यहां पर खतम होता है। ज्यादा पसंद आया होगा। अगर आपको पोस्ट अच्छा लगा हो तो कृपया इस पोस्ट को वीडियो के रूप में जरूर से जरूर पोस्ट करें गुरुजी मैं अब बिदा लेता हूं गुरुजी... जय श्री राम... जय महावीर हनुमान
रोमिन राज जी का यह साधना प्रदान करने के लिए हम बहुत बहुत धन्यवाद करते हैं और आप सभी साधकों का भी बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं। और आप में से जो भी साधना को करना चाहता है वह कृपया करके एक बार अपने गुरु से जरूर संपर्क कीजिएगा तभी आपको इस साधना को करना चाहिए अगर आपका कोई पास हो तो आप हमसे पूछ सकते हैं।
देखिए सारी जानकारी हमने आपको नीचे पीडीएफ में भी उपलब्ध करवा रहे किए तो आप इसके PDF भी प्राप्त कर सकते हैं।
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आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
🌹🏵️ ।।जय मां भवानी।।
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