दत्तात्रेय मंत्र साधना
भगवान दत्तात्रेय
यदि सच्चे मन, कर्म और वाणी से भगवान् दत्तात्रेय की मंत्र साधना की जावे तो साधकों को भगवान् दत्त शीघ्र ही सब मनोकामना पूर्ण करते है l दत्तात्रेय में भगवन और गुरु दोनों रूप समाहित हैं और इसलिए उन्हें ‘ परब्रह्ममूर्ति सदगुरु ‘ और ‘ श्री गुरुदेव दत्त ‘ भी कहते है। उन्हें गुरु वंश का प्रथम गुरु, साधक, योगी और वैज्ञानिक माना जाता है। वे श्री हरि विष्णु, शिवजी और ब्रह्मा जी के त्रय अवतार हैं। दत्त मंत्र
दत्तात्रेय मंत्र साधना
भगवान दत्तात्रेय मंत्र साधना के लिए कुछ विशेष मंत्र बताये गए हैं। भगवान दत्तात्रेय के गायत्री और तांत्रोत्क मंत्र का नियमित जाप पूरे विधि-विधान से करने से मानसिक विकास होता है, बुद्धि बढ़ती है, मन का भय दूर होता है, आत्मबल मिलता है, समस्याएं दूर होती है और मनोवांछित लक्ष्य तक पहुंचने की शक्ति हासिल होती है। दत्तात्रेय मंत्र संकटनाशक और कामनापूर्तिकारक हैं।
गुरुवार और पूर्णिमा की शाम दत्तात्रेय मंत्र साधनाके लिए बहुत ही शुभ मानी गयी है। इसलिये इस दिन स्फटिक माला से जितने ज्यादा मंत्र जाप कर सकते है करना चाहिये। मंत्र जाप से पूर्व शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए
दत्तात्रेय मंत्र साधना विधि
१ चौकी पर लाल रंग का कपडा बिछाकर उस पर भगवान् दत्तात्रेय मूर्ति स्थापित करे।
एक मिट्टी के घड़े के ऊपर एक सूखे नारियल को लाल चुनरी मे लपेट कर चारो तरफ आम के पते लगाकर रख दे।
तुलसी दल, बिल्वपत्र और गेंदे के फुल भगवान को अर्पित करे ।
मेवे का भोग लगा दे।
5 अखंड दीपक जलाये जो साधना शुरु होने से लेकर पूरी रात तक जलते रहेंगे।
दत्तात्रेय मंत्र साधना के लिए आपका आसान पीला या लाल रंग का होना चाहिए।
अपने आसान के पास एक बर्तन मे पानी से भरा बर्तन रखे।
बाएं हाथ में फूल और चावल के कुछ दाने लेकर विनियोग की प्रक्रिया निम्नलिखित मंत्र के साथ करे :
ऊँ अस्य श्री दत्तात्रेय स्तोत्र मंत्रस्य भगवान नारद ऋषिः अनुष्टुप छंदः,
श्री दत्त परमात्मा देवताः, श्री दत्त प्रीत्यर्थे जपे विनोयोगः!फूल और चावल सिर झुकाकर भगवान् दत्तात्रेय की मूर्ति को अर्पित कर दे।
दत्तात्रेय स्तोत्र का पाठ करे
अब दत्त मंत्र का स्फटिक की माला से जाप करे
दत्तात्रेय मंत्र
दत्तात्रेय ध्यान मंत्र
जटाधाराम पाण्डुरंगं शूलहस्तं कृपानिधिम।
सर्व रोग हरं देव,दत्तात्रेयमहं भज॥
दत्तात्रेय गायत्री मंत्र
ll ॐ दिगंबराय विद्महे योगीश्रारय् धीमही तन्नो दत: प्रचोदयात ll
दत्त तांत्रोत्क मंत्र-
ll ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नम: ll
भगवान दत्तात्रेय स्तोत्रम्
भगवान दत्तात्रेय भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनो के अवतार है। वह अनसूया और महर्षि अत्री के पुत्र थे। दत्तात्रेय नाम दो शब्दों में विभाजित किया जा सकता है, दत्त (साधनकर्ता) और अत्री (ऋषि अत्री)। भगवान दत्तात्रेय को पर्यावरण शिक्षा के गुरु के रूप में माना जाता है .
Shri Dattatreya Stotram
श्री दत्तात्रेय स्तोत्रम् हिंदी में
जटाधरं पाण्डुरंगं शूलहस्तं दयानिधिम्।
सर्वरोगहरं देवं दत्तात्रेयमहं भजे ॥१॥
जगदुत्पत्तिकर्त्रे च स्थितिसंहारहेतवे।
भवपाशविमुक्ताय दत्तात्रेय नमोस्तुते॥२॥
जराजन्मविनाशाय देहशुद्धिकराय च।
दिगंबर दयामूर्ते दत्तात्रेय नमोस्तुते॥३॥
कर्पूरकान्तिदेहाय ब्रह्ममूर्तिधराय च।
वेदशास्स्त्रपरिज्ञाय दत्तात्रेय नमोस्तुते॥४॥
ह्रस्वदीर्घकृशस्थूलनामगोत्रविवर्जित!
पञ्चभूतैकदीप्ताय दत्तात्रेय नमोस्तुते॥५॥
यज्ञभोक्त्रे च यज्ञेय यज्ञरूपधराय च।
यज्ञप्रियाय सिद्धाय दत्तात्रेय नमोस्तुते॥६॥
आदौ ब्रह्मा मध्ये विष्णुरन्ते देवः सदाशिवः।
मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेय नमोस्तुते॥७॥
भोगालयाय भोगाय योगयोग्याय धारिणे।
जितेन्द्रिय जितज्ञाय दत्तात्रेय नमोस्तुते॥८॥
दिगंबराय दिव्याय दिव्यरूपधराय च।
सदोदितपरब्रह्म दत्तात्रेय नमोस्तुते॥९॥
जंबूद्वीप महाक्षेत्र मातापुरनिवासिने।
भजमान सतां देव दत्तात्रेय नमोस्तुते॥१०॥
भिक्षाटनं गृहे ग्रामे पात्रं हेममयं करे।
नानास्वादमयी भिक्षा दत्तात्रेय नमोस्तुते॥११॥
ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्रे चाकाशभूतले।
प्रज्ञानघनबोधाय दत्तात्रेय नमोस्तुते॥१२॥
अवधूत सदानन्द परब्रह्मस्वरूपिणे ।
विदेह देहरूपाय दत्तात्रेय नमोस्तुते॥१३॥
सत्यरूप! सदाचार! सत्यधर्मपरायण!
सत्याश्रय परोक्षाय दत्तात्रेय नमोस्तुते॥१४॥
शूलहस्त! गदापाणे! वनमाला सुकन्धर!।
यज्ञसूत्रधर ब्रह्मन् दत्तात्रेय नमोस्तुते॥१५॥
क्षराक्षरस्वरूपाय परात्परतराय च।
दत्तमुक्तिपरस्तोत्र! दत्तात्रेय नमोस्तुते॥१६॥
दत्तविद्याड्यलक्ष्मीश दत्तस्वात्मस्वरूपिणे।
गुणनिर्गुणरूपाय दत्तात्रेय नमोस्तुते॥१७॥
शत्रुनाशकरं स्तोत्रं ज्ञानविज्ञानदायकम्।
आश्च सर्वपापं शमं याति दत्तात्रेय नमोस्तुते॥१८॥
इदं स्तोत्रं महद्दिव्यं दत्तप्रत्यक्षकारकम्।
दत्तात्रेयप्रसादाच्च नारदेन प्रकीर्तितम् ॥१९॥
इति श्रीनारदपुराणे नारदविरचितं
श्रीदत्तात्रेय स्तोत्रं संपुर्णमं।।
।। श्रीगुरुदेव दत्त ।।
दत्तात्रेय स्तोत्र के लाभ
Benefits of Shri Dattatreya stotram
भगवान दत्तात्रेय की साधना में दत्तात्रेय स्तोत्र को बेहद प्रभावशाली माना जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार श्री दत्तात्रेय स्तोत्र का पाठ करने से मन को शांति और घबराहट से मुक्ति मिलती है।
दत्तात्रेय स्तोत्र का पाठ कैसे करे
हिन्दू धरम शास्त्रों के अनुसार सुबह जल्दी स्नान करके भगवान दत्तात्रेय की तस्वीर या मूर्ति के सामने श्री दत्तात्रेय स्तोत्र का पाठ करे. सर्व प्रथम भगवान् भगवान दत्तात्रेय का आवाहन करें और भगवान दत्तात्रेय को सर्व प्रथम आसन अर्पित करें, तत्पश्चात पैर धोने के लिए जल समर्पित करें आचमन अर्पित करें ,स्नान हेतु जल समर्पित करें ,तिलक करें , धुप -दीप दिखाएं ,प्रसाद अर्पित करें, आचमन हेतु जल अर्पित करें, तत्पश्चात नमस्कार करें। तत्पश्चात श्री दत्तात्रेय स्तोत्र का पाठ करे ।
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