आप सभी का हमारे श्री राम परिवार में हार्दिक स्वागत है मित्रों धनपाल जी ने हम से पितरों से संबंधित कोई भी पुस्तक है उपलब्ध कराने को कहा था, और उन्हें हम यह पुस्तक उपलब्ध करवा रहे हैं।
देखिए प्राचीन समय से ही हमारे ऋषि मुनियों ने मनुष्य के कल्याण के लिए बहुत सारे जो नियम वेद-पुराणों में, शास्त्रीय ग्रंथों में बनाए थे। अर्थ धर्म काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों को व्यक्ति प्राप्त करें इसलिए उसके लिए विविध संस्कार बनाए गए हैं जिससे कि इनको प्राप्त करने का जो मार्ग उसे(मनुष्य) को प्रदर्शित हो सके। देखिए गर्भाधान से लेकर मृत्यु पर्यंत तक 48 संस्कार माने जाते हैं लेकिन युग-युगांतर में आपको 16 संस्कार देखने को मिलेंगे। 16 संस्कार ही मुख्य रूप से आपको देखने को मिलेंगे, इन्हें सोलह संस्कारों को मुख्य भी माना जाता है और अब के समय में तो कुछ गिने-चुने संस्कार आपको देखने को मिलते हैं। अब देखिए कुछ समाज में तो आज भी पूरे संस्कारों किया जाता है। 48 तो बहुत कम लोग करते हैं लेकिन 16 संस्कारों को तो किया ही जाता है लेकिन बहुत ही कम लोगों के द्वारा सोलह संस्कारों को किया जाता है अब सोलह संस्कारों को बहुत सारे लोग जानते होंगे(केवल नाम से) कुछ लोग तो सोलह संस्कारों में से कुछ संस्कारों का ही पता हैं। सभी संस्कारों को ज्यादातर लोग नहीं जानते।
देखी संस्कार क्यों बनाए गए और इनकी आवश्यकता हमें क्यों पड़ी और लिए इन्हें बनाया गया
यह सारी जानकारियां आपको आगे लेख में उपलब्ध करवाएंगे तो पोस्ट को पुरा पढें। जिससे जो भी अच्छी जानकारी है वो आप को मिल सके। अब देखिए आपको मैं इस चीज को ऐक उदाहरण लेकर बताता हूं कि अगर आप किसी पेड़ से एक लकड़ी काटते हो और अगर आप से सामान्य रूप से बाजार में ले जाकर बेचते हो तो उसका सिर्फ आपको कुछ ही मुल्य मिलेगा, लेकिन अगर उस लकड़ी को किसी अच्छे शिल्पकार को देते हो तो वह इस से कोई अच्छी चीज बनायेगा (कुर्सी, मेज, कोई मूर्ती आदी), अब आप उसे बाजार में ले जाकर बेचेंगे तो आप कि वस्तु के मुल्य बहुत ज्यादा बढ़ चुके हैं। इसी तरीके से संस्कार भी यही काम करते हैं संस्कार भी मनुष्य के गुणों को प्रकट करने का काम करते हैं और उन्ही के कारण जहां मनुष्य समाज में अधिक स्थान प्राप्त करता है और उसे बाद में जो है मोक्ष की प्राप्ति हो पाती है। उचित समय पर उचित संस्कारों को करने से आप लोग लौकिक सुख के साथ-साथ अलौकिक सुख या आनंद प्राप्त करते हुए आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अब देखिए जिस प्रकार से समुद्र में जलवाष्प होकर बादल बनकर पृथ्वी पर बरसते हैं और बाद में नदियों के द्वारा फिर से उसी समुद्र में जाकर मिल जाते हैं इसी तरीके से जो आत्मा है ईश्वर से ही आती और अनेक प्रकार की जीवन जीते हुए अंत में ईश्वर में ही मिल जाती हैं। इस जीवन को एक निश्चित रूप से चलाने के लिए संस्कारों को बनाया गया है इन संस्कारों के द्वारा आप अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं, ये आपको अपने मृत्यु के बाद में भी बहुत ज्यादा फायदा करते हैं। आजकल की भाग दौड़ में मनुष्य जो है सभी संस्कारों को भूल चुका है लेकिन देखिए सभी48 संस्कारों को तो व्यक्ति भूल चुका है, लेकिन सोलह संस्कारों के मुख्य रूप से माना जाता थाी उन में भी अगर आप देखोगे तो वर्तमान समय में आपको बहुत कम संस्कार भी नहीं मिलेंगे। आपको इन सोलह संस्कारों को जानने चाहिए यह इनका ज्ञान आपको होना चाहिए।
अब देखिए " देव, ऋषि और पितृ ऋण" यह तीन प्रकार के ऋण होते हैं और इनसे मुक्त होने के लिए कई प्रकार के विधि-विधान बताए गए हैं और इनमें से एक जो कि पित्र ऋण है उसी के ऊपर एक पुस्तक आधारित है जो कि हम आपको इस पोस्ट में भी उपलब्ध करवाएंगे, अब देखिए आप देव पूजा करके देव ऋण को चुकता सकते हो, स्वाध्याय वेद-पुराणों एवं उपनिषदों के प्राण से आप ऋषि ऋण चुका सकते हो, गुरुजनों की सेवा और सनातन परंपरा मृत पितरों के निमित्त किए गए श्राद्ध पिंडदान आदि से आप पित्र ऋण से मुक्त हो सकते हो, 16 संस्कारों के अंतर्गत अंतिम संस्कार भी आता है जो कि आप सभी लोगों को तो पता है।
अब देखिए यह जो पुस्तक हमने आपको उपलब्ध करवाई इसमें आपको पूजा पितरों से संबंधित सारी जानकारी देखने को मिलेगा और सारे विधि-विधान जो है वह भी देखने को मिलेंगे कि किस तरीके से उनसे जुड़े हुए सारे विधि-विधान किए जाते हैं और क्या-क्या विधि विधान है वह सभी जो भी इसमें आपको देखने को मिल जाएं कुछ लोगों के साथ पित्र दोष की समस्या होती है उसकी निवारण के जो विधि विधान है वह भी इसमें आपको देखने को मिलेंगे इसमें गोदान के विधि-विधान आपको देखने को मिलेंगे और बहुत सारी जानकारी आपको मिलेगी। देखिए पासवर्ड 3333 हैं। अगर कोई भी दिक्कत आती है तो आप नीचे कमेंट कर दीजिएगा हम आपके कमेंट के द्वारा आपके जो भी परेशानी होगा इसका निर्धारण कर देंगे।
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